दौसा। संस्कृत भारती के तत्वावधान में गीता जयंती महोत्सव का आयोजन योग भवन में भव्यता और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और भगवद्गीता के श्लोकों के सामूहिक वाचन से हुआ, जिसे संस्कृत भारती के जनपद सह संयोजक डॉ. मदन लाल शर्मा ने नेतृत्व प्रदान किया।
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संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सीताराम गुर्जर ने गीता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे केवल धार्मिक ग्रंथ न मानकर जीवन को सफल बनाने का मार्गदर्शक ग्रंथ बताया। उन्होंने गीता की सार्वभौमिक शिक्षाओं और उनमें छिपे गहरे जीवन मूल्यों की व्याख्या की।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह जिला कार्यवाह चंद्रशेखर ने गीता के 18 अध्यायों की संक्षिप्त व्याख्या की। उन्होंने गीता को वर्तमान जीवन की चुनौतियों से निपटने में अत्यंत उपयोगी बताया। उनके अनुसार, गीता की शिक्षाएं आत्मज्ञान, धैर्य और कर्म के प्रति समर्पण का संदेश देती हैं।
संस्कृत भारती के विभाग सह संयोजक लोकेश शर्मा ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य भगवद्गीता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना और भारतीय संस्कृति में वैदिक मूल्यों को पुनर्जीवित करना था। यह आयोजन समाज को गीता के ज्ञान से समृद्ध करने और मानव जीवन को आदर्श मार्ग पर ले जाने के लिए प्रेरित करता है।शिवरतन नायला (भारत स्वाभिमान ट्रस्ट, जिला प्रभारी) ने गीता के महत्व पर अपने विचार साझा किए। योग गुरु सुरेश शर्मा ने कार्यक्रम के समापन पर आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में सीताराम शर्मा ट्रांसपोर्ट, मनोज मीना, अरविंद शर्मा, सत्यनारायण, कीर्ति, जिज्ञासा, गजानंद, और यश जैसे अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
गीता जयंती महोत्सव ने समाज में वैदिक मूल्यों के प्रति जागरूकता फैलाने और गीता के ज्ञान को जीवन में आत्मसात करने का संदेश दिया। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संजोने और नई पीढ़ी को प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
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