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अंतरराष्ट्रीय वैदिक संगोष्ठी में डॉ. रतिराम आचार्य का शोध पत्र प्रस्तुत, 36 देशों के प्रतिनिधियों का हुआ संगम

Dr. Ratiram Acharya research paper presented at the International Vedic Symposium, attended by representatives from 36 countries. - Dausa News in Hindi

दौसा। राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय के सह-आचार्य एवं आर्य समाज के मंत्री डॉ. रतिराम आचार्य ने दिल्ली के रोहिणी सेक्टर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वैदिक संगोष्ठी में “स्वर्णिम भारत के निर्माण में ऋषि परंपरा का योगदान” विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।

डॉ. आचार्य ने अपने शोध में बताया कि महर्षि दयानंद को ऋषि परंपरा का अंतिम महर्षि माना जाता है। उन्होंने वैदिक धर्म, गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति, स्त्री शिक्षा और सामाजिक एकता के क्षेत्र में नवजागरण का मार्ग प्रशस्त किया। उनके विचारों और सुधारवादी आंदोलन ने आधुनिक भारत के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाई। 63 एकड़ में भव्य आयोजन, 36 देशों का प्रतिनिधित्व
संगोष्ठी का आयोजन लगभग 63 एकड़ क्षेत्र में किया गया, जहां विभिन्न विषयों पर आधारित अनेक मंडपों का निर्माण किया गया। इसमें यज्ञशाला, गौशाला और वैदिक परंपरा से जुड़े अनेक आकर्षक आयाम शामिल थे।इस महासम्मेलन को ऐतिहासिक बनाते हुए 36 देशों के राष्ट्रीय ध्वज, 1500 प्रवासी भारतीय, तथा देशभर से आए आर्य समाज और वैदिक धर्म प्रेमियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर राष्ट्रभक्ति से प्रेरित प्रदर्शनी, युवा शक्ति मंडप, जिज्ञासा बोध मंडप, करो योग—रहो निरोग, आर्य वीर-वीरांगना व्यायाम प्रदर्शन, शंका समाधान मंडप और अंधविश्वास निवारण मंडप विशेष आकर्षण का केंद्र रहे।
प्रधानमंत्री ने किया उद्घाटन
कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। उन्होंने कहा कि आर्य समाज और महर्षि दयानंद के अनुयायियों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन इतिहास में उनके बलिदानों को पर्याप्त स्थान नहीं दिया गया।
योग गुरु बाबा रामदेव ने भी संबोधित करते हुए कहा कि “यदि महर्षि दयानंद नहीं होते, तो बाबा रामदेव का भी अस्तित्व नहीं होता।”
दौसा से भी प्रतिनिधि रहे मौजूद
सम्मेलन में देशभर की आर्य प्रतिनिधि सभाओं के पदाधिकारी, आर्य समाज के कार्यकर्ता और अनेक विद्वान शामिल हुए।आर्य समाज दौसा से उप प्रधान पूरणमल आर्य, राजेश आर्य सहित अन्य सदस्य भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी वैदिक परंपरा के गौरव और आधुनिक भारत के निर्माण में ऋषि चिंतन की भूमिका का उत्कृष्ट प्रतीक बनी।

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Web Title-Dr. Ratiram Acharya research paper presented at the International Vedic Symposium, attended by representatives from 36 countries.
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