दौसा। भारत की परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल के तत्वाधान में ग्राम पंचायत जसौता में अमृत पर्यावरण महोत्सव मनाया गया। इसमें जिले के अधिकारियों, कर्मचारीयों सहित करीब 20 ग्राम पंचायतों के पंच-सरपंचों, किसान व भूमिहीन ग्रामीणों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में युवा आईआईटीयन विप्र गोयल ने राजस्थान जल-ऊर्जा-रोजगार आत्मनिर्भरता के विजन की रणनीति को स्पष्ट किया। डॉ नीलम गोयल ने बताया कि विप्र गोयल ने तीन वर्षों के ग्रामीण दौरों में पाया कि राज्य के 1.25 करोड़ किसान परिवारों के पास प्राकृतिक संसाधनों के रूप में 257 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य जमीन है। 5.5 करोड़ मवेशी हैं, 128 लाख करोड़ लीटर हर साल बरसने वाला वर्षा जल है। 3 करोड़ मेहनती वर्कफोर्स है। इस प्रचुर प्राकृतिक व मानवीय संसाधन के होने पर भी राजस्थान राज्य के ग्रामीण परिवार की सालाना-औसतन आय मात्र 37 हजार रुपये ही है। यानि 20 रुपए प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन। जबकि राज्य का प्रत्येक ग्रामीण परिवार अपनी संतान की शिक्षा-दीक्षा, पालन-पोषण व छोटे-मोटे पारिवारिक रीति-रिवाजों के लिए औसतन 2 से 8 लाख रुपये तक का कर्ज अपने ऊपर चढ़ाए हुए रहता है और यह कर्जा हर साल बढ़ता ही जाता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हर साल गिरते भूजल, बढ़ते हुए चारे के दामों व टुकड़ों-टुकड़ों में बंटती-बिकती जमीन ने कृषि कार्य को रुचिहीन बना रहे हैं। विप्र गोयल के अनुसार, जितनी तादाद में हर साल शिक्षित युवक-युवतियों की संख्या बढ़ती जाती है, उसके समक्ष हर साल 1 प्रतिशत को भी रोजगार मुनासिब नहीं हो पाते हैं। दूसरी तरफ, कृषि से उदासीनता व कर्ज ने किसान युवकों कों इधर-उधर से जुगाड़ के रास्ते पर धकेल रखा है। जिससे आज की युवा जनरेशन में नैतिकता व कर्तव्यबोध में बहुत तेजी से गिरावट आ रही है। आपस में एक दूसरे पर विश्वास खत्म होता जा रहा है।
विप्र ने कहा कि इन बेबासियों व गरीबी की स्थिति से आज भी निकला जा सकता है। जरूरत है तो सिर्फ अपने-अपने खेत पर कुछ बुनियादि व्यवस्थाओं जैसे फार्म पोंड, सोलर पंप, बूंद-बूंद व फव्वारा सिंचाई सिस्टम और बाजार-बिक्री व्यवस्था करने की। प्रति 10-10 ग्राम पंचायतों के एक-एक क्लस्टर को जल-ऊर्जा-रोजगार आत्मनिर्भर क्लस्टर के रुप में विकसित करने की पुख्ता कार्य-योजना तैयार की है। इस योजना के तहत खेत-खेत में फार्म पोंड, सोलर पंप, बूंद-बूंद व फव्वारा सिंचाई सिस्टम की व्यवस्था कराई जावेगी। साथ ही प्रति 10 ग्राम पंचायत के क्लस्टर पर एक फूड प्रोसेसिंग संयंत्र, डेयरी प्रोसेसिंग प्लांट, बायोगेस-बायोखाद-बायोकीटनाशक प्लांट की स्थापना होगी। जिससे इस योजना से जुडने वाले हर किसान परिवार को खेत-खेत व घर-घर पर ही शून्य लागत पर सिंचाई व घरेलू पानी-बिजली, रसोई गैस, खाद-बीज-कीटनाशक व्यवस्था कराई जाएगी। इससे होने वाली व्यापारिक फसलों पर भी एमएसपी जैसी सुविधा भी हर किसान को विप्र गोयल द्वारा कराई जाएगी।
इसके लिए उन्होंने वैश्विक व राष्ट्रीय निवेशकर्ता, बैंकों, भामाशाहों व सरकार की विभिन्न योजनाओं को साथ लेते हुए आवश्यक बजट की तैयारी कर ली है। कलेक्टर ने विप्र गोयल के इस प्रयास को न केवल दौसा के लिए वरन पूरे राजस्थान के लिए एक आवश्यक व कार्यकारी कदम बताया। किसान हित में बहुत ही कारगर बताया।
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