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लालसोट की महाकाली: 855 वर्ष पुरानी दक्षिण मुखी दिव्य प्रतिमा, दक्षिणेश्वर महाकाली से अद्भुत समानता

Lalsot Mahakali: 855-year-old south-facing divine idol, strikingly similar to Dakshineswar Mahakali - Dausa News in Hindi

लालसोट। राजस्थान की धार्मिक नगरी लालसोट में स्थित महाकाली माता मंदिर केवल आस्था का केन्द्र नहीं, बल्कि 855 वर्ष पुरानी विरासत भी है। यहाँ विराजमान महाकाली माता की प्रतिमा को लेकर मान्यता है कि यह स्वयंभू स्वरूप में प्रकट हुई थी और तभी से भक्तों की अटूट श्रद्धा का केन्द्र बनी हुई है।

जनश्रुति और ऐतिहासिक महत्त्व: मंदिर के पीठाधीश्वर महंत बनवारीलाल व्यास बताते हैं कि जनश्रुतियों के अनुसार प्रतिमा का जो भाग ऊपर दिखाई देता है, उससे पाँच गुना भाग धरती के नीचे स्थित है। आरंभ में माता एक गुमटीनुमा छोटे मंदिर में विराजमान थीं, परंतु समय के साथ उनके चमत्कारों और श्रद्धालुओं की बढ़ती आस्था ने इस मंदिर को विशाल स्वरूप प्रदान कर दिया। प्रतिमा के सामने बहने वाला नाला कभी 20 फीट गहरा था। लोग उसमें होकर आवागमन करते थे, लेकिन धीरे-धीरे मिट्टी के भराव से यह नाला अब मात्र 5 फीट गहरा रह गया है। दक्षिण मुखी स्वरूप से बढ़ी दिव्यता: महाकाली माता की प्रतिमा दक्षिण मुखी है, जो भारतीय परंपरा में अत्यंत दुर्लभ और चमत्कारी मानी जाती है। कहा जाता है कि दक्षिण मुखी प्रतिमाएँ विशेष शक्ति-संपन्न होती हैं और निष्काम भाव से पूजा करने पर भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। यही कारण है कि यहाँ बेरोजगार युवक नौकरी पाते हैं, निस्संतान दंपत्ति को संतान सुख मिलता है और असाध्य रोगों से ग्रसित लोगों को स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। लालसोट निवासी रामचरण बोहरा ने स्वयं अपने अनुभव साझा करते हुए बताया—“डॉक्टरों ने मुझे असाध्य रोगी मानकर जवाब दे दिया था, परंतु महाकाली माता की कृपा से मैं आज स्वस्थ हूँ।”
दक्षिणेश्वर महाकाली से अद्भुत समानता: लालसोट महाकाली की प्रतिमा में पश्चिम बंगाल के हुगली नदी तट पर स्थित दक्षिणेश्वर महाकाली माता की प्रतिमा से अद्भुत समानता है। दोनों ही प्रतिमाएँ दक्षिण मुखी स्वरूप में हैं और भक्तों के लिए मनोकामना पूर्ण करने वाली मानी जाती हैं। यही कारण है कि राजस्थान ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए पहुँचते हैं।
श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र: मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों भक्त दर्शन के लिए आते हैं, जबकि नवरात्र में यहाँ आस्था की भीड़ उमड़ती है। दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु माता के दरबार में अपनी व्यथा सुनाते हैं और प्रसाद चढ़ाकर लौटते हैं। अनेक भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के बाद मंदिर में विशेष अनुष्ठान और भंडारे का आयोजन भी करते हैं।
आस्था और इतिहास का संगम: लालसोट महाकाली मंदिर केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह प्रतिमा 855 वर्षों से लालसोट की पहचान और गौरव बनी हुई है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु यह अनुभव करते हैं कि माता की कृपा से उनका जीवन नई दिशा पाता है।

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Web Title-Lalsot Mahakali: 855-year-old south-facing divine idol, strikingly similar to Dakshineswar Mahakali
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