चूरू। रेगिस्तान का मेवा कहे जाने वाले रसीले ‘पीलू’ के फल वाले ‘जाळ’ के पौधों के संरक्षण एवं संवद्र्धन की दिशा में ताल छापर की नेचर एनवायरमेंट एण्ड वाइल्डलाइफ सोसायटी (न्यूज) ने वन विभाग के साथ मिलकर एक जोरदार पहल की है। सोसायटी और विभाग की ओर से बुधवार शाम तालछापर अभयारण्य में जाळ के इक्यावन पौधे लगाए गए।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
विश्व पर्यावरण दिवस के इस अवसर पर प्रसिद्ध पर्यावरणविद् पदम्श्री हिम्मताराम भामू के सान्निध्य में संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर ट्री मैन ऑफ राजस्थान के नाम से चर्चित पदम्श्री हिम्मताराम भामू ने पेड़ों की महत्ता बताते हुए कहा कि जिस प्रकार मातृ ऋण, पितृ ऋण, मातृभूमि का ऋण होता है, उसी प्रकार वृक्ष ऋण भी होता है क्योंकि हमारे जीने का आधार ऑक्सीजन है जो हमें इन्हीं पेड़-पौधों से प्राप्त होती है। इस अवसर पर उन्होंने गीत ‘‘ भाया ! पेड़ा नै मत काटो रे, जै कोई काटे पेड़ उनको मिलकर डांटो रे‘‘ सुना कर सबको पेड़ लगाने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत सरकार के अपर आयुक्त, कस्टम एंड जीएसटी डॉ. दिनेश कुमार जांगिड़ ‘सारंग‘ ने अपने उद्बोधन में कहा कि पशु,पक्षियों और प्रकृति की सेवा से ही असली आत्म संतुष्टि मिलती है। फूड चैन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हमारा पूरा जीवन इन्हीं पर निर्भर है तो इनकी सार-सम्भाल और सुरक्षा संरक्षण का दायित्व भी हमारा है।
विशिष्ट अतिथि चहकता घर फाउण्डेशन नई दिल्ली के उपाध्यक्ष व रियेल स्टेट व्यवसायी पंकज रौशा ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि ऎसे समय जब हम चारों ओर सीमेंट व पत्थरों के जंगल खड़े कर रहे हैं, वास्तविक जंगल, जानवर व पेड़ों को बचाने की मुहिम जरूरी लग रही है। उन्होंने चहकता घर के नाम से गौरैया संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया।
समारोह अध्यक्ष उप वन संरक्षक चूरू भवानी सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि जंगल को बचाने के लिए जन सहभागिता जरूरी है। उन्होंने ताल छापर अभयारण्य के विकास हेतु हर सम्भव सहयोग देने का संस्था को आश्वासन दिया। आयोजन में विशेष अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष श्रवण कुमार माली ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए नेचर एनवायरमेंट एण्ड वाइल्डलाइफ सोसायटी के प्रयासों पर हर्ष व्यक्त किया।
संस्था के अध्यक्ष कन्हैयालाल स्वामी ने बताया कि जाळ के पेड़ ताल छापर अभयारण्य के कृष्ण मृगों और अन्य वन्य जीवों के लिए बहुत उपयोगी व सार्थक होंगे। यहां की मिट्टी भी इस पौधे के लिए उपजाऊ हैं। पौधों की प्रारम्भिक सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड भी लगाएं जायेंगे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ.घनश्याम नाथ कच्छावा ने किया। क्षेत्रीय वन अधिकारी उमेश बागोतिया ने ताल छापर अभयारण्य में आने वाले प्रवासी पक्षियों की जानकारी दी। आभार कन्हैयालाल स्वामी ने व्यक्त किया। संगोष्ठी के प्रारम्भ में गायत्री परिवार से जुड़े बाबूलाल सारस्वत ने स्वस्ति वाचन किया।
आयोजन में मुख्य अतिथि डॉ. दिनेश कुमार जांगिड़ ‘सारंग‘ और पंकज रौशा ने गौरैया के लकड़ी के घौसले ‘चहकता घर’ वितरित किए। वहीं पदम्श्री हिम्मताराम भामू की जीवनी पर लिखी एक पुस्तक सभी को वितरित की गयी।
आयोजन में पर्यावरण विकास के लिए योगदान व सहयोग देने हेतु एसीएफ सौरभ कुमार श्योराण, रेंजर उमेश बागोतिया, रेंजर विकास कुमार स्वामी, राजगढ़ के सुमेर सिंह गुलपुरा, सालासर के मोहन लाल जांगिड़ व छापर के हरिप्रसाद पारीक का अतिथियों के कर -कमलों से विशेष सम्मान किया गया।
संगोष्ठी में आगन्तुक अतिथियों का अंग वस्त्र, पुष्पाहार, बर्ड फीडर और कृष्ण मृग की एक तस्वीर भेंट कर स्वागत-सम्मान संस्था के पार्थ सोनी, सचिव सुनील पुरोहित, तेजकरण उपाध्याय, निर्मल स्वामी, सूरज तापड़िया, जितेन्द्र स्वामी, राजेश चारण, शंकर लाल सारस्वत, सुमन नाहटा, पन्ना लाल मेघवाल, अन्नपूर्णा सुथार आदि ने किया।
आयोजन में वरिष्ठ अधिवक्ता सूर्य प्रकाश स्वामी, पक्षी विशेषज्ञ बृजदान सामौर , सत्यनारायण शर्मा, धन्नाराम प्रजापत, गौरीशंकर भावुक, सीताराम लुगरिया, रतनलाल सैन, सुमनेश शर्मा, डॉ. प्रदीप सोनी सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।
फेक न्यूज पर सोशल मीडिया को जवाबदेही बनाने के लिए भारत प्रतिबद्ध : केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव
मुख्यमंत्री काफिले में हादसा : घायल एएसआई ने इलाज के दौरान दम तोड़ा, सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
शेहला राशिद ने 370 से पहले घाटी में सेना की कार्रवाई पर एजेंडा चलाने वालों को किया 'बेनकाब'
Daily Horoscope