सरदारशहर (चूरू)। गोरक्षा के नाम पर देश के प्रधानमंत्री की ओर से दिया गया वक्तव्य आज सरदारशहर में सही साबित हो रहा है। अगर गोचर भूमि बचाओ संर्घष समिति और महामण्डलेश्वर सोमेश्वरानन्द के आरोप सही है तों सरदारशहर में गोसेवा की आड़ में अरबों रुपए की गोचर भूमि (बीड़,चारागाह)का घोटाला किया गया है। चूरू जिले के सरदारशहर की गोशाला में ना केवल कालेधन का कारोबार हो रहा है बल्कि 180 करोड़ रुपए तक का बड़ा घोटाला भी किया गया है। प्रशासनिक अधिकारियों से मिलीभगत कर गोचर भूमि के अन्य उद्देश्यों के लिए आवंटन किया गया है। यह आरोप है निर्दलीय अखाड़ा के महामण्डलेश्वर सोमेश्वरनन्द गिरी और गोचर भूमि बचाओ संर्घष समिति का। इनका कहना है कि सरदारशहर में श्रीगोशाला समिति की ओर से 355 बीघा गोचर भूमि को गोशाला के संचालक ट्रस्टी की ओर से प्रशासनिक अधिकारियों से मिलीभगत करके रीको को बेच दिया गया है और रीको ने 355 बीघा जमीन को अधिग्रहीत भी कर लिया है। 180 करोड़ की यह राशि श्रीगोशाला समिति सरदारशहर के बैंक खाते में जमा है, लेकिन इस राशि का उपयोग गोवंश के हितों में ना करके अपने निजी और व्यवसायिक हितों में किया जा रहा है। महामण्डलेश्वर सोमेश्वरनन्द गिरी का आरोप है कि श्रीगोशाला समिति के ट्रस्टियों की ओर से गोचर भूमि को ना केवल बेचा जा रहा है अपितु इनका व्यवसायिक उपयोग करते हुए फैक्ट्रियां और कारखाने भी चलाए जा रहे हैं। करोडों के इस घोटाले के विरूद्ध सरदारशहर गोचर भूमि बचाओ संर्घष समिति अब लामबंद हो चुकी है और इस घोटाले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग को लेकर आंदोलन करने की चेतावनी दी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सरदारशहर की एक गोशाला समिति की ओर से लम्बे समय से चारागाह भूमि को खुर्द-बुर्द करने का खेल खेला जा रहा हैं, जिसमें स्थानीय प्रशासन भी जिम्मेवार हैं। रीको के लिए अवाप्त की गई चारागाह भूमि को लेकर राज्य सरकार ने अधिसूचना में इस भूमि को निजी खातेदारी की भूमि बताई गई हैं। अधिसूचना में लिखा है कि भूमि अवाप्ति अधिनियम 1894 की धारा-4 में राज्य सरकार को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार एतदद्वारा संलग्र सूची में वर्णित जिला चूरू की तहसील सरदारशहर के ग्राम सरदारशहर में स्थित कुल 355 बीघा 11 बिस्वा निजी खातेदारी भूमि को उपरोक्त प्रयोजनार्थ राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं विनियोजन निगम लि.(रीको) जयपुर के लिए कम्पनी के खर्चे पर भूमि अवाप्ति अधिनियम 1894 के प्रावधानों के अनुसार अवाप्त करने हेतु अधिसूचित करती हैं।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से 28 जनवरी 2011 में चारागाह भूमि, जोहड पायतन और तालाब की जमीनों पर निजी एवं व्यवसायिक उपयोग को अवैध माना तथा राजस्व विभाग की ओर से भी 25.04.2011 को परिपत्र जारी कर इस तरह के भूमि अन्तरण पर रोक लगा दी थी। सरदारशहर गोशाला की 355 बीघा भूमि को लेकर उच्च न्यायालय में चल रहे वाद में न्यायालय ने स्थगन आदेश भी पारित किए हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से श्रीगोशाला के ट्रस्टियों से मिलकर जमीन को रीको को बेच दिया गया और 129 करोड़ रुपए की राशि का लेनदेन भी हो गया। यहां तक की रीको ने गोचर भूमि का अधिग्रहण भी कर लिया है।
महामण्डलेश्वर सोमेश्वरनन्द गिरी ने कहा कि यह न्यायालय के आदेशों की अवेहलना है, लेकिन बावजूद इसके दोषियों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है। राजस्व रिकॉर्ड में 3574 बीघा जमीन बीहड़ गोशाला सरदारशहर गैर मुमकिन लगान माफ (खारिज अज पड़ता) की भूमि दर्ज है जो गायों की चराई के लिए सार्वजनिक हित की थी, लेकिन अब गायों के हक की गोचर भूमि हड़पकर निरन्तर बेची जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि गोचरभूमि में से 355 बीघा भूमि श्रीगोशाला समिति सरदारशहर व कलकता के श्रीसरदारशहर गोशाला समिति ट्रस्ट ने उपखण्ड अधिकारी से मिलीभगत कर रीको को गोचरभूमि (गोशाला) अधिग्रहण करवा दी। इसी दौरान अवार्ड राशि सरदारशहर समिति के नाम जारी होने पर श्रीसरदारशहर गोशाला समिति कलकता ने इस भूमि को गोचर व सार्वजनिक रूप से गायों के चरने के लिए तथा गोशाला की गायों के हित में भूमि का उपयोग मानते हुए अधिग्रहण का विरोध किया था, लेकिन बाद मेें दोनो समितियों के पदाधिकारियों ने समझौता कर प्रशासन को समझौता पत्र दिया, जिसमें दोनों एक ही उद्देश्य की समिति लिखते हुए सरदारशहर वाली समिति ने अवार्ड राशि स्वयं न लेकर कलकत्ता वाले ट्रस्ट को देने की सहमति दे दी तथा 88 करोड़ 97 लाख 92 हजार 600 रुपए की राशि कलकता ट्रस्ट के खाते में उपखण्ड अधिकारी ने जमा करवा दी। इससे पहले कलेक्टर ने एक पत्र लिखकर भूमि में टाईटल साबित करने के सबूत के लिए लिखा, लेकिन उसका कोई ठोस प्रमाणिक जवाब नहीं मिला। इस भूमि में किसी प्रकार से मिलकीयत अधिकार नहीं होते हुए भूमि अवाप्ति अधिकारी एसडीएम को गुमराह कर गोशाला समिति व कलकत्ता वाले ट्रस्ट ने गैर कानूनी रूप से राशि 88,97,92,600 रुपए प्रथम किस्त हड़प ली।
अवार्ड जारी होने से पूर्व 21 सितम्बर 2012 को एसडीएम सरदारशहर ने कलेक्टर व राज्य सरकार को इसे गोचर भूमि मानकर पत्र लिखा कि उक्त भूमि गैर मुमकिन दर्ज रिकार्ड हैं तथा गोवंश के चरने के लिए काम आ रही है। अत: भूमि की किस्म चारागाह की परिभाषा में आती हैं। उसके साथ ही एसडीएम ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2011 में आ गया है यह गोचर है इसे अवाप्त कैसे की जा सकती है, मार्गदर्शन दें। लेकिन बाद में यहां लगाए गए दूसरे एसडीएम ने सारे नियम कायदों की अनदेखी कर अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी करने के साथ अवार्ड राशि श्रीसरदारशहर गोशाला समिति को भेज दी।
पूरे मामले को लेकर जिला कलेक्टर ललित गुप्ता का कहना है कि रीको के लिए जमीन अवाप्त की गयी थी, उस समय क्या परिस्थितियां रही मुझे ध्यान नहीं है। उसके पेमेन्ट का भुगतान गोशाला को किया गया था, जिसपर रिट याचिका दायर हुई है।
गोशाला समिति सरदारशहर के ट्रस्टी का कहना है कि हमारी जो जमीन सरकार ने रीको के लिए अवाप्त की उसके रुपए से हम दूसरी जमीन खरीदेंगें, जिससे गोशाला की जमीन की पूर्ति हो सकें। हमने कोई जमीन नहीं बेची है, हमें जो पैसा मिला वह आज तक बैंक में एफडीआर के रूप में सुरक्षित है। उन रुपयों के ब्याज से गोशाला चला रहे हैं।
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