चित्तौडगढ। जो व्यक्ति धन के लालच एवं विषय भोगों व व्यर्थ की इच्छाओं में नहीं फँसता वही धर्म के मर्म को जान सकता है । यह विचार वैदिक मिशन मुंबई के अध्यक्ष डॉ. सोमदेव शास्त्री ने पद्मिनी आर्ष कन्या गुरुकुल चित्तौड़गढ़ में वेदों में राष्ट्रवाद विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर सत्र अध्यक्ष व्यक्त किए । ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस अवसर पर अमेरिका स्थित भारतीय राजदूतावास वाशिंगटन डीसी में सांस्कृतिक राजनयिक एवं भारतीय संस्कृति शिक्षक रहे डॉ. मोक्षराज ने प्रमुख वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि हमारे देश की संस्कृति सबसे महान है । यहाँ भिक्षा माँगकर भी वेदों की रक्षा की जाती रही है । भारत के जीवन दर्शन में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र को एक दूसरे का पूरक व अटूट सहयोगी बताया है । उन्होंने कहा कि हमें वेदों की ओर लौटना होगा ताकि हम संपूर्ण विश्व को सुदृढ़ व सशक्त समाज का ढाँचा पुनः प्रदान कर सकें ।
वेद गोष्ठी के समापन समारोह में डॉ. अनिल, रवि चड्ढा व देवेंद्र सिंह शेखावत आदि ने भी विचार व्यक्त किए ।
कार्यक्रम का संचालन आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान के मंत्री जीव वर्धन शास्त्री ने किया । वेद गोष्ठी में राजस्थान सहित दिल्ली हरियाणा पंजाब मध्य प्रदेश नागालैंड छत्तीसगढ़ बिहार एवं मुम्बई के 18 विद्वानों ने शोध व्याख्यान प्रस्तुत किए तथा गुरुकुल की छात्राओं ने सत्यार्थ प्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, आर्य समाज के इतिहास तथा महर्षि दयानंद के जीवन पर भाषण दिए एवं हवन कराया। जालंधर के राजेश अमर प्रेमी ने देशभक्ति भजन सुनाए।
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