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चित्तौडगढ़। ई-स्टाम्प क्रय के दौरान आमजन में व्यापक जागरूकता लाने के लिए पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग की ओर से चित्तौड़गढ़ उप पंजीयक कार्यालय में नवाचार शुरू किया है।
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पंजीयन और मुद्रांक विभाग ने ‘‘अपने ई स्टाम्प सर्टिफिकेट को जाने’’ नाम से एक नवाचार शुरू किया है जिसका उद्घाटन आज चित्तौड़गढ़ उप पंजीयक कार्यालय में उप पंजीयक सुनीता सॉंखला द्वारा किया गया। आम जनता के बीच ई स्टाम्प और इसमे मोजूद सुरक्षा मानकों की जानकारी व्यापक रूप से बनी रहे इसकी जानकारी इस इलेक्ट्रिक क्लिप बोर्ड के माध्यम से उप पंजीयक सांखला द्वारा दी गई।
उप पंजीयक सुनीता सॉखला ने बताया कि अपनी संपत्तियों के पंजीकरण के लिए आने वाले आम जनता को ई-स्टाम्पिंग मोबाइल ऐप के माध्यम से ई-स्टाम्प पेपर में मौजूद 2डी बार कोड को स्कैन कर ई-स्टांप की प्रामाणिकता की जांच करनी चाहिए। साथ ही आम आदमी द्वारा ई-स्टाम्प खरीदते समय उसमें मौजूद सभी सुरक्षा मानकों की जांच करने का सुझाव दिया।
उप पंजीयक ने ई स्टाम्प के विभिन्न सुरक्षा मानकों जैसे माइक्रो प्रिंट, तीन स्थानों पर वॉटरमार्क में स्टाम्प ड्यूटी, टेक्स्ट थ्रेड में भुगतान की गई स्टाम्प ड्यूटी, टेक्स्ट थ्रेड में दिनांक समय, टू डी बार कोड, सीमित क्रम में प्रमाणपत्र संख्या और टेक्स्ट रिबन में एसएचसीआईएल के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में उप पंजीयक कार्यालय से भरत मीणा, विशाल मीणा, महेन्द्र सिंह रावत और ई-स्टाम्पिंग की ओर से ई-स्टाम्पिंग एरिया मैनेजर पवन रुनवाल, एसीसी स्टाम्प वेंडर पीयूष कलंत्री और विपीन शर्मा, अधिवक्ता सुनील कलंत्री मौजूद रहे।
आखिर कब तक अनभिज्ञ रहेगा विभाग
नवाचार कार्यक्रम के दौरान एक शख्स ऐसा भी मौजूद था जिसके बारें में विगत कई वर्षो से विभाग अनभिज्ञता दर्शा रहा है। बुधवार को कार्यक्रम के दौरान महेन्द्र सिंह रावत नामक कार्मिक भी मौजूद रहा। यह वही कार्मिक है जिसके बारें में कई बार उप पंजीयक, तहसीलदार के साथ ही उप महानिरीक्षक एवं महानिरीक्षक तक अनभिज्ञता जाहिर कर चुके है जबकि उक्त कार्मिक विगत कई वर्षो से विभागीय कार्य प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा है।
कई बार उच्चाधिकारियों को प्रत्यक्षतः रूबरू इस बारे में अवगत कराया गया लेकिन हर बार उच्चाधिकारियों ने इस बात को लेकर पल्ला ही झाड़ा है जो कही ना कही भ्रश्टाचार को इंगित करता है। उक्त कार्मिक न सिर्फ विभागीय कार्य प्रणाली में भागीदार है वरन् उच्चाधिकारियों की आवभगत में भी हमेशा अग्रणी रहता है। इसके बावजूद भी विभाग के उच्चाधिकारी अनभिज्ञता दर्शाते है जो कि हास्यास्प्रद है।
विभागीय अधिकारी कही ना कही इस तरह की अनभिज्ञता को जाहिर करके भ्रश्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश में ही लगे रहते है। सवालिया निशान यह है कि जान बूझकर अनभिज्ञता जाहिर करने की उप पंजीयक कार्यालय के उच्चाधिकारियों की यह कार्य प्रणाली कब तक चलती रहेगी। आखिर क्यों अब तक मुख्यमंत्री के साथ ही भ्रश्टाचार निरोधक विभाग तक विभाग की यह कार्य प्रणाली संज्ञान में नही आई है।
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