बूंदी। रमजान का महीना मुस्लिम समाज के लिए खास मायने रखता है। इस माह में संयम और समर्पण के साथ खुदा की इबादत एक जाती है। हर व्यक्ति अपनी रूह को पवित्र करने के साथ अपनी दुनियादारी की हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में समर्पित हो जाता है। तकवा लाने के लिए पूरे रमजान के माह रोजे रखे जाते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दिनभर की गर्मी में भी अलसुबह सहरी से शाम को इफ्तारी तक रोजेदार भूखा-प्यासा अल्लाह की इबादत करता है। इन रोजेदारों में महिला-पुरुष ही नहीं, छोटे बच्चे भी शामिल होते हैं।
ऐसा ही उत्साह देखने को मिला छह साल की छोटी सी बच्ची अल्फिया में। अपनी अम्मी को रोजा करता देख रोजा रखने की जिद करने वाली अल्फिया ने न केवल खुद रोजा रखा, वरन अपनी दस वर्षीय बहन ईरम नाज को भी प्रेरित कर रोजा रखवाया। अल्फिया और ईरम नाज दोनों बहनों ने पिछली 4 जून को भी भरी गर्मी के बावजूद अपने जीवन का पहला रोजा रखा था। इबादत की रात सब-ए-कद्र के पहले भी अपने दूसरा रोजा शिद्दत के साथ अल्लाह की इबादत करते हुए पूरा किया। इफ्तारी के साथ दोनों बहनों ने मुल्क और दुनिया में अमन-चैन और भाईचारे के लिए दुआ मांगी। साइकिल की दुकान चलाने वाले इनके पिता अब्दुल वहीद ने बताया कि हमें देख कर अल्फिया रोजाना रोजा रखने की जिद करती थी। पिछले दिनों जब हम सहरी के लिए उठे तो ये दोनों भी जिद कर हमारे साथ रोजेदारी में शामिल हुईं। इनकी लगन और अल्लाह की रहम से इनकी मेहनत सफल रही।
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