बूंदी। उमंग संस्थान की ओर से फादर्स-डे के अवसर पर ‘बालक के जीवन में पिता की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी और ग्रीटिंग कार्ड मेंकिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
स्वामी विवेकानंद स्कूल में संचालित उमंग हॉबी क्लासेज में आयोजित संगोष्ठी के मुख्य वक्ता सेवानिवृत्त प्राध्यापक धन्ना लाल त्रिपाठी और बूंदी ब्रश के नंदप्रकाश शर्मा रहे। बालक के जीवन में पिता का महत्व बताते हुए धन्ना लाल त्रिपाठी ने कहा कि पिता को ईश्वर का रूप कहा गया है, क्योंकि अपने बच्चे के लिए तमाम कठिनाइयों के बाद भी पिता के चेहरे पर कभी शिकन तक नहीं आती। पिता हमें जीवन जीने की कला सिखाने में और हमारे सुख के लिए अपना संपूर्ण जीवन न्योछावर कर देता हैं। त्रिपाठी ने कहा कि पिता के त्याग और परिश्रम को चुकाया नहीं जा सकता, हमे उनके प्रति कृतज्ञ बने रहना चाहिए।
नंद प्रकाश नंजी ने कहा कि हमारी संस्कृति का प्रभाव रहा है, बदलते परिवेश में भले ही पिता की धीर गंभीर छवि वर्तमान में बच्चों के मित्र और हंसमुख स्वभाव ने ले ली हो, फिर भी एक पिता के दायित्व और कर्तव्य में बदलाव नहीं आया। नंजी ने कहा कि संयुक्त परिवारों के बिखराव से वृद्धाश्रम की आवश्यकता हुई, लेकिन अपने माता-पिता के प्रति हम भी अपने दायित्व और कर्तव्य निभाएं तो वृद्धाश्रम की आवश्यकता नहीं रहेगी।
कार्यक्रम में सरदार महेन्द्रपाल सिंह ने कहा कि पिता वह वटवृक्ष है, जिसकी छाया में पूरा परिवार पुष्पित और पल्लवित होता है। संगोष्ठी में मिहिर गुर्जर, हीमेन्द्र, चिन्मय विजय, तनिष्का योगी तथा खुशी आशावत ने पिता के महत्व पर विचार रखे। संगोष्ठी के बाद ग्रीटिंग कार्ड मेकिंग वर्कशॉप में अंकिता चौहान, पिंकी सोनी तथा श्वेता शर्मा के निर्देशन में बच्चों ने आकर्षक और रंग-बिरंगे कार्ड तैयार कर अपने विचारों को उजागर किया। संगोष्ठी का संचालन कृष्ण कान्त राठौर ने किया और आभार लोकेश जैन ने जताया। इस मौके पर प्रमोद सिखवाल, लोकेश कुमार जैन, सुमन कंवर सहित बालक बालिकाएं उपस्थित थे।
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