बूंदी। नगर परिषद द्वारा आयोजित कजली तीज मेला रंगमंच पर गुरुवार को कव्वाली मुकाबला का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती के चित्र दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कव्वाली की शुरुआत नागपुर के कव्वाल नुसरत अली झंकार ने हिंदू को गीता की कसम है, मुस्लिम को कुरान की, अपने वतन के लिए लगा दो बाजी अपनी जान की कलाम पेश किया। इसके बाद दिल्ली की कव्वालन ज्योति वारसी ने चाहे पूजा करो या इबादत करो दिल लगाने की लेकिन अदा एक, चाहे हिंदू हो या वो मुसलमान हो पालने वाला सब का खुदा एक की पेशकश की तो श्रोताओं में नजराना देने की ओर से मच गई। कव्वाल नुसरत अली ने अमीना का 1 साल बेमिसाल मैं तो ख्वाजा का दीवाना चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा, ज्योति ने कुरान का फरमान है यह मान लीजिए आएगा अब न कोई नबी जान लीजिए श्रोताओं के बीच रखी तो दोनों का दर्शकों ने मालाओं से इस्तकबाल किया।
कव्वाल ज्योति ने तोड़ दिए सब जग के बंधन बात न किसी की मानी, मैं हो गई ख्वाजा की दीवानी। कव्वाल नुसरत अली ने मेरे रश्के कमर तूने पहली नजर जब नजर से मिलाई मजा आ गया, मेरे भारत का बच्चा-बच्चा मेरे ख्वाजा के टुकड़ों पर पलता है सुनाओ सुना कर श्रोताओं को बांधे रखा। कव्वाली मैं दोनों कव्वालों के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें कव्वाल नुसरत अली झंकार ने चाहा जी के टूटके वह आखिर चला गया तुझे ना ही तेरे एहसास को सजा दूंगा, कव्वाल ज्योति ने मुसीबत और मुश्किल में सखावत काम आती है, वह अपनी मोहब्बत का एलान कर रहा है, चाहे जो भी सजा दीजिए पर तो बता दीजिए जैसे कलाम पेश कर दोनों के बीच अल सुबह तक मुकाबला चलता रहा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष फारुक राणा थे।
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