बीकानेर। राष्ट्रबोध, स्व का बोध और भारतीय संस्कृति सभ्यता से जुड़े विमर्श और साहित्य के सृजन, पठन से युवाओं को जोड़ने की आज आवश्यकता है तभी भारतीय संस्कृति की स्थापना विश्व पटल पर होगी।
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यह विचार अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मनोज कुमार ने बीकानेर में आयोजित अखिल भारतीय साहित्य परिषद जोधपुर प्रांत के प्रांत एकदिवसीय कार्यकारिणी की चिंतन बैठक में कही, होटल वृंदावन में रविवार को साहित्य परिषद जोधपुर प्रांत की प्रांत कार्यकारिणी की चिंतन बैठक रखी गई थी जिसमें प्रांत के सभी प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे प्रांत अध्यक्ष डॉ.अखिलानंद पाठक ने बताया कि साहित्य परिषद के नवनियुक्त सह संगठन मंत्री का बीकानेर में पहला प्रवास था जिसमें प्रांत के सभी पदाधिकारी मौजूद रहे दिनभर चिंतन बैठक में साहित्य में कुरूपता, नकारात्मकता, समाज को तोड़ने की वृद्धि, बाजारवाद और केवल सम्मान के लिए लिखने की जो होड़ मची है इस पर विचार विमर्श हुआ मनोज कुमार ने बताया कि हमें सभी भारतीय भाषाओं में पुरोहित भारतीय संस्कृति सभ्यता और भारतीयता के संदर्भ को प्रकाशित करना होगा इसके लिए युवाओं के बीच हमें जाना होगा उन्हें साहित्य सृजन हेतु प्रशिक्षित करना होगा तथा नव भारतीय साहित्य का निर्माण करके उनके पढ़ने की व्यवस्था भी करनी होगी अच्छे साहित्य का विश्व की भाषाओं में अनुवाद करके भारत की सभ्यता संस्कृति और साहित्य को वैश्विक स्तर पर भी लाना होगा इससे पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री का स्वागत क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. अन्नाराम शर्मा ने अंग वस्त्र ओढ़ाकर किया। चिंतन बैठक में क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ. विपिनचंद्र पाठक प्रांत महामंत्री डॉ. लालाराम प्रजापत सहित प्रांत के सभी उपाध्यक्ष मीडिया प्रमुख एवं विभाग संयोजक तथा स्थानीय इकाई के प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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