|
महाप्रभुजी के प्राकट्य दिवस पर पुष्टिमार्गीय साधना का अनुपम ग्रंथ हुआ विमोचित
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बीकानेर। पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक श्रीमहाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी के 548वें प्राकट्य महोत्सव के शुभ अवसर पर बीकानेर की धर्मधरा एक बार फिर वैष्णव परंपरा की गौरवगाथा का साक्षी बनी। तीन दिवसीय रासलीला आयोजन के दौरान प्रख्यात भागवताचार्य डॉ. गोपाल नारायण व्यास के एकादश ग्रंथ "श्री सिद्ध गोपाल एवं गोपालसुन्दरी साधना" का लोकार्पण किया गया।
इस विशेष अवसर पर पुष्टिमार्ग के पंचम पीठाधिपति आचार्य श्री विट्ठलनाथ जी ने अपने कर कमलों से इस ग्रंथ का विमोचन किया। कार्यक्रम में बीकानेर के अनेक विद्वान, आचार्यजन और श्रद्धालु वैष्णवों की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिनमें प्रमुख रूप से ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र जी किराडू, पं. विजय शंकर रंगा, यदुनंदन व्यास, माधव व्यास, दिव्यांशु व्यास, रवि पुरोहित आदि सम्मिलित हुए।
“श्री सिद्ध गोपाल एवं गोपालसुन्दरी साधना” पुस्तक, वैष्णव परंपरा के भीतर साधना और सेवा के मध्य संतुलन को दर्शाती है। आचार्य श्री विट्ठलनाथ जी ने अपने उद्बोधन में कहा,
"सेवा बिना भाव नहीं, और साधना बिना परिणाम नहीं। डॉ. व्यास जी ने जो साधना मार्ग प्रस्तुत किया है, वह अनुभव की शुद्धता और शास्त्र की दृढ़ता दोनों से संवलित है। यह ग्रंथ गोपाल और युगल उपासना का दुर्लभ संगम है।"
डॉ. गोपाल नारायण व्यास ने अपने वक्तव्य में बताया कि यह ग्रंथ उनके हस्तलिखित नोट्स, आर्ष ग्रंथों की सन्दर्भ सामग्री, और स्वानुभूत भक्ति प्रयोगों पर आधारित है। यह विशेषतः उन साधकों के लिए है जो शुद्ध भक्ति मार्ग और शाक्त एवं वैष्णव साधनाओं के समन्वय की खोज में हैं।
पंडित राजेन्द्र किराडू ने इस ग्रंथ की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि,
"डॉ. गोपालनारायण व्यास ने न केवल भक्ति में, बल्कि ज्योतिष, व्याकरण और तांत्रिक साधना में भी गहन अभ्यास किया है। उनकी लेखनी में अनुभव का सौंदर्य है और शास्त्र का अनुशासन भी। यह ग्रंथ सिर्फ पुष्टिमार्गीय नहीं, अपितु वैष्णव-शाक्त उपासना का अद्वितीय संगम है।"
पंडित रवि पुरोहित ने जानकारी दी कि यह ग्रंथ बीकानेर स्थित पुष्करणा स्कूल के पास श्री कृष्णकृपा कुंज से प्राप्त किया जा सकता है। निकट भविष्य में इसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी लाने की योजना है, जिससे देश-विदेश में बसे भक्तगण इस दुर्लभ ग्रंथ से लाभान्वित हो सकें।
“सिद्ध गोपाल एवं गोपालसुन्दरी साधना” में गोपालस्वरूप श्रीकृष्ण की पुष्टि भक्ति और गोपालसुन्दरी अर्थात् शक्ति के आध्यात्मिक आयाम को समन्वित किया गया है। यह ग्रंथ साधक को केवल मंत्र, ध्यान और स्तोत्र नहीं देता, बल्कि आचार, विचार और आत्मानुभूति की ओर मार्गदर्शन करता है।
प्राकट्य महोत्सव के अंतर्गत हुई त्रिदिवसीय रासलीला में भी श्रद्धालु भावविभोर नजर आए। बाल कलाकारों द्वारा प्रस्तुत माखन चोरी, रास नृत्य और उद्धव संवाद जैसे प्रसंगों ने श्रद्धालुओं को कृष्णलीला में डुबो दिया।
इस आयोजन ने पुष्टिमार्गीय साधकों और युवा पीढ़ी में एक नवीन ऊर्जा का संचार किया है। डॉ. व्यास द्वारा रचित यह ग्रंथ न केवल धार्मिक साहित्य को समृद्ध करता है, बल्कि आध्यात्मिक नवजागरण की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध हो सकता है।
पुष्टिमार्गीय भाव-संप्रदाय की यह साहित्यिक प्रस्तुति एक बार फिर यह सिद्ध करती है कि परंपरा में भी नवाचार संभव है, बशर्ते उसमें श्रद्धा, अनुभव और शास्त्रीय विवेक का समुचित समावेश हो।
गृह मंत्री अमित शाह ने मल्टी एजेंसी सेंटर का किया उद्घाटन
सलमान रुश्दी पर हमले के दोषी हादी मटर को 25 साल की जेल : "मैं मर रहा हूं" – अदालत में बोले रुश्दी
जेएनयू और जामिया के बाद एलपीयू ने भी तुर्की के संस्थानों के साथ समझौते रद्द किए
Daily Horoscope