बीकानेर। सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट, बीकानेर के तत्वावधान में रविवार को "समकालीन राजस्थानी युवा कविता के स्वर" कार्यक्रम की छठी कड़ी का आयोजन राजकीय संग्रहालय परिसर स्थित इंस्टीट्यूट सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कवि और कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग की प्रभारी डाॅ. संतोष शेखावत उपस्थित थीं।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि- कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि आधुनिक दौर में युवा रचनाकारों को अपनी मातृभाषा के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को अपनी बात तार्किक रूप से प्रस्तुत करने की कोशिश करनी चाहिए, और आज प्रस्तुत किए गए युवा कवियों की रचनाओं में राजस्थानी भाषा की पहचान स्पष्ट रूप से झलक रही है। जोशी ने यह भी कहा कि भाषा की रखवाली की जिम्मेदारी अब युवाओं के हाथों में है और आज की राजस्थानी कविता समकालीन कविता की धारा को अन्य भारतीय भाषाओं के साथ आगे बढ़ाने में सक्षम है।
कार्यक्रम की शुरुआत में साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने स्वागत उद्बोधन में संस्थान की अब तक की पांच कड़ियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की और बताया कि युवाओं को राजस्थानी भाषा से जोड़े रखना आवश्यक है।
मुख्य अतिथि डाॅ. संतोष शेखावत ने युवा कविता में विषयों की विविधता और जीवन के सभी पहलुओं की मौजूदगी की सराहना की। उन्होंने कहा कि कविता व्यक्ति की आत्मा को सृष्टि से जोड़ने का काम करती है और आज के युवा कवि प्रेम की अद्भुत भाषा को कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत कर रहे हैं।
कार्यक्रम में साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत युवा कवि आशीष पुरोहित ने अपनी कविता "पण बापू" के माध्यम से पिता-पुत्र संबंधों और पारिवारिक जिम्मेदारियों का चित्रण किया। इसके अलावा, उन्होंने किसानों की पीड़ा और मध्यम वर्गीय परिवारों की समस्याओं को "कांई लेयगी ही" जैसी कविताओं के जरिए व्यक्त किया।
युवा कवयित्री सोनाली सुथार ने अपनी कविता "लोग टुर जावै" से समकालीन यथार्थ को उजागर किया और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, संगीत- साहित्य की युवा कवयित्री अक्षिता जोशी ने भी अपनी कविताओं के माध्यम से सामाजिक समस्याओं को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. कृष्ण लाल बिश्नोई ने तीनों युवा कवियों की रचनाओं पर त्वरित टिप्पणी करते हुए कहा कि युवा कवि राजस्थानी भाषा को समृद्ध करेंगे। अंत में अतिथियों ने तीनों कवियों को स्मृति चिन्ह और नगद राशि देकर सम्मानित किया। साथ ही, उन्हें नव किरण प्रकाशन की ओर से पुस्तकों की भेंट दी गई।
कार्यक्रम में हरि शंकर पुरोहित, रवि पुरोहित, मोनिका गौड, शंशाक शेखर जोशी, प्रोफेसर नरसिंह बिन्नाणी, महेश उपाध्याय, बी. एल. नवीन, कासिम बीकानेरी, जुगल किशोर पुरोहित, पवन सोनी सहित अनेक साहित्य प्रेमी और प्रमुख लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कवि कैलाश टाक ने किया, जबकि शायर अब्दुल शकूर सिसोदिया ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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