बीकानेर । जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वर
अपने सहवृति 17 मुनियों व 18 साध्वीवृंद के साथ 26 जून बुधवार को सुबह साढ़े
पांच बजे ढढ्ढा चौक से शिवबाड़ी जाएंगे। आचार्यश्री के सान्निध्य में
गंगेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर में 27 जून गुरुवार से एक जुलाई तक पंचाहिन्का
अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव में होगा। सुगन महाराज का उपासरा
ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा ने बताया कि गुरुदेव सुगन महाराज के
सदुपदेश से विक्रम संवत् गंगेश्वर पार्श्वनाथ परमात्मा के मंदिर का
निर्माण हुआ एवं विक्रम संवत् 1931 (150 वर्ष पूर्व ) इसकी प्रतिष्ठा हुई।
मंदिर के निर्माण के लिए बीकानेर के तत्कालीन महाराजा गंगासिंह ने भूमि
प्रदान की तथा मंदिर निर्माण में सहयोग किया।
लगभग 12 वर्ष पूर्व बीकानेर
की ही साध्वी प्रवर्तीनी साध्वी चन्द्र प्रभा ने अपने चातुर्मास
काल में मंदिर के जीर्णोद्धार की प्रेरणा दी। तदन्तर गंगेश्वर पार्श्वनाथ
मंदिर जीर्णोंद्धार, चल प्रतिष्ठा एवं खनन मुर्हूत 14 जुलाई 2013 को हुआ।
इसके बाद उनकी शिष्या संयम पूर्णाश्रीआदि ठाणा की निश्रा एवं सिरोही
निवासी शासन रत्न से सम्मानित मनोज कुमार बाबू लाल हरण के मागदर्शन में
सप्त शिखरीय मंदिर, गणधर गौतम स्वामी दादाबाड़ी एवं देव देवीमंदिर का
शिलान्यास कर कार्य आगे बढ़ा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने बताया कि भारत भर के अनेक
ट्रस्ट, पेढ़ी एवं संघों के सहयोग से सात शिखर वाले, सफेद संगमरमर का
गंगेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर वास्तु एवं शिल्प कला में अपने आप में अनूठा
मंदिर है। मंदिर के चारों तरफ 108 पार्श्वनाथ सह धरणेन्द्र देव अति आकर्षक
है। शिवबाड़ी का 108 पार्श्वनाथ धरणेन्द्र का भारत भर में पहला मंदिर है।
नाहटा ने बताया की पार्श्वनाथ जिन मंदिर जीर्णोंद्धार के लिए एक
कमेटी गठित की गई। कमेटी के सदस्य, पवन कुमार बोथरा, हस्तीमल सेठी, मनोज
कुमार सेठिया, हेमंत खजांची और स्वर्गीय थान मल बोथरा, स्वर्गीय वीर पिता
भीखमचंद बरड़िया ने अमूल्य समय, सहयोग व मार्गदर्शन प्रदान किया।
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