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"जश्न-ए-आसिम" : तहज़ीब और अदब का एक रोशन मंज़र

Jashn-e-Asim : A bright scene of culture and etiquette - Bikaner News in Hindi

बीकानेर। ऐतिहासिक ज़मीन पर तहज़ीब की एक नायाब शाम सजाई गई, जब साहित्य और शायरी की महफ़िल ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अदब अब भी ज़िंदा है। तहजीब फाउंडेशन, बीकानेर के तत्वावधान में महारानी सुदर्शना कला दीर्घा, श्री जुबिली नागरी भंडार में आयोजित हुआ यह ख़ास कार्यक्रम—"जश्न-ए-आसिम"।

इस महफ़िल में सहारनपुर से तशरीफ़ लाए बहुभाषी लेखक, शायर और विद्वान डॉ. आसिम पीरज़ादा का सम्मान किया गया। डॉ. पीरज़ादा उन बिरले फ़नकारों में से हैं, जो हिंदी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फारसी और संस्कृत जैसी भाषाओं में समान दक्षता से साहित्य सृजन करते हैं। उनकी शायरी महज़ लफ़्ज़ों का खेल नहीं, बल्कि तहज़ीब की धड़कन है, रूह की आवाज़ है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीकानेर के वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने उन्हें शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र जोशी, जो स्वयं एक ख्यातनाम कवि और कथाकार हैं, ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। तहजीब फाउंडेशन के अध्यक्ष बुनियाद हुसैन जहीन ने माल्यार्पण कर, तोहफे पेश करते हुए उनकी अदबी सेवाओं को सराहा।
प्रारंभ में डा. ज़ियाउल हसन क़ादरी ने डॉ. पीरज़ादा की साहित्यिक यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि डॉ. पीरज़ादा के अब तक कई ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। दिलचस्प बात ये है कि वो हास्य रस में भी शेर कहते हैं और उनकी हास्य ग़ज़लों के संग्रह भी साहित्य जगत में ख़ूब चर्चित हुए हैं। वह साहिब-ए-दीवान शायर हैं और उनके दो दीवान "अदबी दुनिया" में अपनी ख़ास जगह बना चुके हैं।
इस मौके पर मेहमान शायर डॉ. आसिम पीरज़ादा ने अपना बेहतरीन कलाम पेश किया। उनके अशआरों ने महफ़िल में जादू सा बिखेर दिया। हर शेर पर दिल खोलकर दाद दी गई, और हर मिसरा जैसे महफ़िल के ज़ेहन में उतर गया—
"हमारे लफ़्ज़ों में कुछ ऐसे रूह के ज़ख्म हैं,जिन्हें पढ़कर ग़ज़ल भी रो देती है।"
महफ़िल में चार चाँद लगाने वाले नाम
इस ख़ास कवि गोष्ठी में शिरकत करने वाले दिग्गजों में शामिल रहे-जाकिर अदीब, बुनियाद हुसैन जहीन, डा. ज़ियाउल हसन क़ादरी, असद अली असद, वली मोहम्मद ग़ौरी वली रजवी, अब्दुल जब्बार जज़्बी, सागर सिद्दीकी, मुईनुद्दीन मुईन, मुहम्मद इसहाक़ ग़ौरी शफ़क़, माजिद खान ग़ौरी माजिद, इसरार हसन क़ादरी, इमदाद उल्लाह बासित, इन सभी शायरों ने अपने-अपने अंदाज़ में अदब की ख़िदमत की और महफ़िल को यादगार बना दिया।
"जश्न-ए-आसिम" में सामाजिक हस्तियों की भी भरपूर मौजूदगी रही, जिनमें शामिल रहे-चौधरी आबिद हुसैन, यासीन अली, पेंटर अल्ताफ़ अहमद, पूर्व पार्षद सरताज हुसैन, अफ़ज़ल हुसैन, पेंटर जरीफ हसन कालू, ज़ुलकरनैन, ज़मन, रियासत।
सभी ने डॉ. आसिम पीरज़ादा की अदबी सेवाओं की सराहना की और उन्हें ज़िंदादिली व जुनून का आइना बताया।

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Web Title-Jashn-e-Asim : A bright scene of culture and etiquette
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