- एसकेआरएयू में भारत के सतत आर्थिक विकास में मधुमक्खी पालन की भूमिका, चुनौतियां और अवसर विषय पर व्याख्यान का आयोजन
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बीकानेर। स्वामी केश्वानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान (आईएबीएम) में भारत के सतत आर्थिक विकास में मधुमक्खी पालन की भूमिका, चुनौतियां और अवसर, विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।
कृषि महाविद्यालय बीकानेर के कीट विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस व्याख्यान में देश के प्रमुख मधुमक्खी वैज्ञानिक व शेर ए कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, जम्मू के निवर्तमान अधिष्ठाता प्रो. डी.पी. एब्रोल ने इस विषय पर व्याख्यान दिया।
व्याख्यान में स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय कुलपति डॉ अरुण कुमार, समस्त अधिष्ठाता, संकाय शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
डॉ एब्रोल ने अपने व्याख्यान में बताया कि मधुमक्खी पालन न सिर्फ विश्व की खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अतिरिक्त अवसर प्रदान करता है। साथ ही इससे किसानों को बेहद कम लागत में ज्यादा आमदनी प्राप्त की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि शहद उत्पादन में भारत का स्थान सातवां है। लेकिन देश में इसका उपभोग मात्र 0.05 ग्राम प्रति व्यक्ति/प्रतिवर्ष है। शहद के गुणों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि इसके सेवन से ना सिर्फ हमें ऊर्जा मिलती है। बल्कि कई तरह के सूक्ष्म पोषक तत्व शरीर को मिल जाते हैं। जिससे हमारे शरीर की रोगों के प्रति प्रतिरोधकता बढ़ती है।
डॉ एब्रोल ने अपने व्याख्यान में देश के सतत आर्थिक विकास में मधुमक्खी पालन की भूमिका व विभिन्न स्तरों पर किए जाने वाले कार्यो को रेखांकित किया। इनके व्याख्यान के उपरान्त इस विषय पर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों ने पश्चिमी राजस्थान में मधुमक्खी पालन की संभावनाओं, मोबाइल टावर का मधुमक्खियों की दैनिक गतिविधियों पर पड़ने वाले प्रभाव व शहद के डिब्बे में तले पर जमने के गुण इत्यादि पर चर्चा की।
इस पर डॉ एब्रोल ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान में स्थानांतरण प्रकार के मधुमक्खी पालन की संभावना है। साथ ही बताया कि मोबाइल टावर की तरंगों से मधुमक्खियों के के दैनिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। शहद के नीचे जमने को लेकर बताया कि सरसों के शहद में तले पर जमने का गुण पाया जाता है। जो सामान्य जल से गर्म करके दूर किया जा सकता है।
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरुण कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग की मधुमक्खी पालन पर बी बोर्ड, भारत सरकार में परियोजना विचाराधीन है। जिससे इस क्षेत्र में मधुमक्खी पालन के विभिन्न आयामों पर शोध किया जा सकेगा। इससे पूर्व कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एच.एल.देशवा ने स्वागत उद्बोधन दिया। निदेशक छात्र कल्याण डॉ वीर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ वी.एस. आचार्य ने मंच संचालन ने किया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, वैज्ञानिक, विद्यार्थियों व प्रगतिशील किसानों ने हिस्सा लिया।
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