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बीकानेर। प्रदेशभर के सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में प्रिंसिपलों की नियुक्ति फिलहाल अधर में लटक गई है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रस्तावित ऑनलाइन काउंसिलिंग को अचानक स्थगित करने के फैसले से हजारों स्कूलों में नेतृत्व की कमी बनी रहेगी। उम्मीद थी कि बोर्ड परीक्षाओं से पहले नव-प्रमोटेड प्रिंसिपल अपने पदभार संभाल लेंगे, लेकिन अब यह प्रक्रिया अनिश्चितकाल के लिए टल गई है।
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शिक्षा विभाग ने पहले से ही ऑनलाइन काउंसिलिंग की रूपरेखा तैयार कर ली थी। वरिष्ठता सूची (सिनियोरिटी लिस्ट) भी जारी कर दी गई थी, जिससे पदोन्नत शिक्षकों को नए स्कूल चुनने का अवसर मिलता। लेकिन अचानक इस पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई। निदेशालय के आदेश के अनुसार, "अपरिहार्य कारणों" से काउंसिलिंग स्थगित की गई है, लेकिन इन कारणों का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, काउंसिलिंग की प्रक्रिया में तकनीकी अड़चनों और प्रशासनिक सहमति की कमी के चलते इसे रोका गया है। दरअसल, स्कूलों को ऑनलाइन ओपन करना अनिवार्य था, लेकिन इसमें समन्वय नहीं बन सका। परिणामस्वरूप यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया अटक गई।
इस स्थगन से राजस्थान के 4000 से अधिक सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूलों पर असर पड़ेगा, जहां प्रिंसिपल की नियुक्ति होनी थी। शिक्षा व्यवस्था में प्रिंसिपल की भूमिका केवल प्रशासनिक ही नहीं बल्कि शैक्षणिक सुधारों के क्रियान्वयन में भी महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में यह निर्णय बोर्ड परीक्षाओं से पहले छात्रों और शिक्षकों के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है।
शिक्षा विभाग ने संकेत दिया है कि इस महीने के अंत तक काउंसिलिंग की नई तारीख जारी हो सकती है। लेकिन यदि यह देरी लंबी खिंचती है, तो सरकारी स्कूलों की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। अब नजरें शिक्षा निदेशालय पर टिकी हैं कि वे कब और कैसे इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से आगे बढ़ाते हैं।
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