बीकानेर। जो व्यक्ति पढ़ता है, वही गुनता है। पुस्तकें व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का माध्यम हैं। जो निरंतर पढता है वही अच्छा लिख सकता है। आजकल पुस्तकों को पढने की आदत निरंतर कम होती जा रही है जो कि चिंताजनक है। ये विचार रविवार को कादम्बिनी क्लब की ओर से होटल मरुधर हेरिटेज में पुस्तक: कल आज और कल विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में कवि, कथाकार एवं महारानी सुदर्शन महाविद्यालय की हिंदी की प्रोफेसर डॉ. संजू श्रीमाली ने मुख्य वक्ता के रूप में प्रकट किए। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार सरदार अली पडिहार ने कहा कि किताबें हमारे मानस पुत्र कि भांति होती हैं। ये ही व्यक्ति का नाम अमर कर जाती हैं। उन्होंने कहा कि वेद और पुराणों में पुस्तकों को पूरा महत्व दिया गया है। कादम्बिनी क्लब के संयोजक प्रो. डॉ. अजय जोशी ने कहा कि 23 मार्च को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसको विश्व कॉपीराइट दिवस के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। लेखकों की ओर से सृजित साहित्य की कोई अनाधिकृत रूप से नक़ल करके उससे मिलने वाले लाभों से लेखक को वंचित न कर सकें, इसके लिए कॉपीराइट कानून बनाया गया हैं। इस क़ानून के दम पर ही लेखक अपनी पुस्तक को प्रकाशित करके उसकी बिक्री से रॉयल्टी या एकमुश्त राशि प्राप्त कर सकता है। क्लब सह संयोजक और कार्यक्रम समंवयक प्रो. डॉ. नरसिंह बिनानी ने कहा कि पुस्तकें हमारी सच्ची दोस्त हैं, जो हमे उचित अनुचित का ज्ञान कराती हैं। कवियत्री डॉ. सुधा आचार्य ने कहा कि पुस्तकों को पढऩे के संस्कार बच्चों को घर से ही मिलने चाहिए। बच्चों को अच्छी पुस्तकें पढऩे के लिए प्रेरित करना चाहिए। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उषा किरण सोनी ने कहा कि छपी पुस्तकों का महत्व कभी भी कम नही हो सकता, चाहे कितनी ही तकनीक आ जाए। गोष्ठी में प्रो. बीआर चौधरी, बी. डी. हर्ष, अजीत राज, जुगल पुरोहित, शैलेन्द्र सरस्वती, डॉ. प्रकाश वर्मा, डॉ. सुषमा बिस्सा, डॉ. जिया उल हसन कादरी, असद अली असद, व्यवसायी हेमचंद बांठिया, कर्मचारी नेता गिरिराज पारीक, अधिवक्ता भगवती प्रशाद पारीक, कृष्णा वर्मा सहित कई साहित्यकारों, शिक्षाविदों, समाजसेवियों और विचारकों ने भाग लिया और अपने विचार प्रकट किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नरसिंह बिन्नानी ने किया एवं गिरिराज पारीक ने आगंतुकों का आभार जताया।
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