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बीकानेर। राजस्थान शिक्षा विभाग के मंत्रालयिक कर्मचारियों ने शासन द्वारा जारी पत्र दिनांक 02.07.2025 पर कड़ा विरोध दर्ज किया है। यह पत्र शिक्षा विभाग के संस्थापन/प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यदायित्व निर्धारण से संबंधित परिपत्र दिनांक 01.06.2020 को अपास्त करने एवं समकक्षता के आधार पर पुनः प्रस्ताव भेजने के निर्देश देता है।
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मंत्रालयिक कर्मचारियों का कहना है कि बिना किसी तथ्यात्मक परीक्षण एवं उचित विचार-विमर्श के, केवल संघ विशेष की एकतरफा एवं अनुचित मांग पर यह पत्र जारी करना न केवल पक्षपातपूर्ण है, बल्कि शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के प्रति शासन के दुराग्रह को भी दर्शाता है।
इस निर्णय के विरोधस्वरूप, निदेशालय के मंत्रालयिक कर्मचारियों ने प्रदेशाध्यक्ष आनंद कुमार साध के नेतृत्व में निदेशक के स्टाफ ऑफिसर के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री, माननीय शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव एवं शिक्षा सचिव को एक ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन की मुख्य बातें:
परिपत्र 01.06.2020 शिक्षा अधिकारी संघों की आपत्तियों के समुचित परीक्षण और राज्य सरकार के नियमानुसार जारी किया गया था।
यह परिपत्र पूर्णतः नियमसंगत है और सभी विभागों में समान कार्यदायित्व व्यवस्था के अनुरूप है।
संघ विशेष द्वारा पुनः की गई आपत्ति पूर्वाग्रह से ग्रसित है और किसी तथ्य या नियम पर आधारित नहीं है।
शासन का पत्र दिनांक 02.07.2025 तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।
शिक्षा विभाग में अन्य विभागों की भांति पूर्ववत परिपत्र 01.06.2020 को लागू रखा जाए और उसकी पालना सुनिश्चित की जाए।
कर्मचारियों ने जताई चिंता:
कर्मचारियों ने यह भी कहा कि यदि शासन द्वारा जल्द कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई, तो राज्यभर में मंत्रालयिक कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
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