भिवाड़ी। राजस्थान रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RAJ-RERA) के सदस्य सुधीर कुमार शर्मा ने भिवाड़ी स्थित The Habitat प्रोजेक्ट के निवेशकों को बड़ी राहत देते हुए Aryans Buildwell Pvt Ltd को आदेश दिया है कि वह ग्राहक संजीत महेन्द्रू को उसकी पूरी जमा राशि 11 प्रतिशत ब्याज समेत 45 दिनों के भीतर वापस करें। यह कदम प्रोजेक्ट के लम्बे समय तक न पूरा होने और अब लैप्स कैटेगरी में चले जाने के बाद उठाया गया है। यह फैसला उन लाखों घर खरीदारों के लिए महत्वपूर्ण है, जो ऐसी ही परियोजनाओं में फंसे हुए हैं।
प्रकरण के तथ्यों के मुताबिक संजीत महेन्द्रू ने साल 2016 में Aryans Buildwell Pvt Ltd के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट भिवाड़ी स्थित जगमालहरी गांव में The Habitat में एक फ्लैट बुक किया था। इस संबंध में बिल्डर ने उसके पक्ष में 23 मई, 2016 को एग्रीमेंट टू सेल लिखा। इसके मुताबिक फ्लैट की कुल कीमत 20, 50, 195 रुपए तय हुई थी। लेकिन, संजीत महेंदू इसकी एवज में 31 मार्च, 2021 तक 21 लाख 53 हजार 159 रुपए जमा करवा चुके थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पीड़ित संजीत महेंदू के मुताबिक इसके बाद बिल्डर ने उसे बुलाकर कहा कि वे आर्थिक तंगी और बाजार के कारणों से मल्टीस्टोरी वाले इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। वे उसकी जमा रकम भी लौटाने की स्थिति में नहीं है। लेकिन, उसी साइट पर वे दूसरा आवासीय प्रोजेक्ट बना रहे हैं, उसमें वे नया एग्रीमेंट करने के 12 महीने में फ्लैट का कब्जा दे देगा।
इस पर उसने बिल्डर के साथ 28 दिसंबर, 2020 को नया एग्रीमेंट कर लिया। इसके मुताबिक उसे भिवाड़ी-अलवर हाइवे स्थित The Habitat में फ्लैट मिलना था। इसकी कीमत 25 लाख 20 हजार रुपए तय हुई थी। लेकिन, रेरा का दरवाजा खटखटाने तक बिल्डर ने इस प्रोजेक्ट को भी पूरा नहीं किया है। इसलिए उसे ब्याज समेत पूरी राशि वापस दिलवाने के साथ ही क्षतिपूर्ति राशि भी दिलाई जानी चाहिए।
इस दौरान विपक्षी बिल्डर का कहना था कि शिकायतकर्ता ने एक एग्रीमेंट के तहत 5 जून, 2015 को एक फ्लैट बुक किया था। लेकिन, 8 अगस्त, 2015 की उसके अनुरोध पर यह अलॉमेंट रद्द कर दिया गया। लेकिन, बाद में पीड़ित ने अनुरोध किया का उसका फ्लैट अलॉटमेंट रद्द नहीं किया जाए, बल्कि उसे बहाल रखा जाए। इस पर उसका फ्लैट आवंटन बहाल कर दिया गया था।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद रेरा के सदस्य सुधीर कुमार शर्मा ने फैसले में कहा कि चूंकि खुद पीड़ित पक्षकार ने अनुरोध करके बार-बार एग्रीमेंट आदि में बदलाव कराए हैं। कभी फ्लैट कैंसल कराया तो कभी बहाल करवाया है। इस प्रोजेक्ट का रेरा रजिस्ट्रेशन 30 जून, 2022 तक ही वैध था। इसके बाद रेरा ने उसे 30 जून, 2023 तक एक्सटेंशन दिया था। लेकिन, इसके बाद बिल्डर ने ना तो सक्षम अथॉरिटी से प्रोजेक्ट कंप्लीशन का सर्टिफिकेट प्राप्त किया है और ना ही रेरा रजिस्ट्रेशन एक्सटेंशन के लिए आवेदन किया है।
इसलिए यह प्रोजेक्ट अब लैप्स होने की कैटेगरी में आ चुका है। इसलिए विपक्षी बिल्डर को आदेश दिया जाता है कि वह पीड़ित ग्राहक को उसकी जमा राशि पर 28 दिसंबर 2020 से जमा राशि पर बैंक दर 11 प्रतिशत सालाना ब्याज का भुगतान करे। इस फैसले का पालन 45 दिन में करना होगा। … मूल फैसला पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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