भीलवाड़ा। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ शांतिभवन के तत्वावधान में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की आराधना के छठे दिन पूज्य प्रवर्तक पन्नालालजी म.सा. की जयंति शुक्रवार को आचार्य सोहनलालजी म.सा. एवं प्रवर्तिनी पूज्य गुरुवर्या डॉ. ज्ञानलता की सुशिष्या प्रवचन प्रभाविका डॉ. दर्शनलता म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में गुणानुवाद एवं सामूहिक दया व्रत के साथ मनाई गई।
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सामूहिक दया तप करने वाले श्रावक-श्राविकाओं ने 9 से 11 तक सामायिक साधना की। गुणानुवाद करते हुए महासाध्वी दर्शनलताजी म.सा. ने कहा कि दुनिया में गुरू ही सबसे महान होता है ओर गुरु से ही शिष्य का जीवन निखरता ओर संवरता है। जीवन की खाताबही को व्यवस्थित रखने वाला सीए भी गुरु होता है तो इंजीनियर व डॉक्टर का काम भी शिष्य के लिए गुरू करता है। गुरु प्रभु से जो ज्ञान पाते है वह हम सबको देते है। गुरु के हम पर अनंत उपकार है जिनको शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है।
मानव सेवा व जीवदया के लिए समर्पित पूज्य प्रवर्तक गुरुदेव पन्नालालजी म.सा. ने बलि प्रथा व जीव हिंसा को रुकवाया ओर महिला शिक्षा के लिए भी प्रेरित किया। जो भी उनके सानिध्य में आया उसे स्वाध्याय करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने सभी श्रावक-श्राविकाओं को पूज्य गुरूदेव के प्रति श्रद्धाभाव समर्पित करने के लिए प्रतिदिन कम से कम 10-15 मिनट स्वाध्याय करने का संकल्प दिलाया।
धर्मसभा में डॉ. चरित्रलता म.सा. ने पूज्य पन्ना गुरुवर के प्रति भावाजंलि अर्पित करते हुए कहा कि अनंत गुणों से सम्पन्न गुरुदेव में इतने गुण समाएं हुए थे कि गुणानुवाद में शब्द कम पड़ जाएंगे लेकिन उनके गुणों का वर्णन हम नहीं कर पाएंगे। उन्होंने हमे स्वाध्याय का प्रज्वलित दीप थमाया जिसके प्रकाश तले पूरा जैन समाज जगमगा रहा है। जिनशासन की सेवा के लिए सबसे पहले स्वाध्याय संघ की स्थापना उन्होंने ही की। उस संघ से निकले स्वाध्यायी पूरे देश में जिनवाणी को जन-जन तक पहुंचा रहे है।
उन्होंने अतंगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ का वाचन एवं विवेचन करते हुए राजगृही नगरी में अर्जुन माली के भय के बीच भगवान महावीर का पहुंचना, उनकी देशना सुनने के लिए हर संकट का सामने करते हुए श्रमणोपसाक सुदर्शन श्रावक का पहुंचना आदि प्रसंगों की चर्चा करते हुए कहा कि श्रमणोपसाक बनने के लिए श्रावक को नव तत्वों का ज्ञान होना चाहिए।
भगवान महावीर के श्रावक निडर व निर्भिक होते है। धर्म की शक्ति के सामने हर शक्ति कमजोर पड़ जाती है। उन्होंने कहा कि हमारी धर्म के प्रति श्रद्धा में गिरावट आना चिंताजनक है। धर्म करने वाले कभी डरते नहीं ओर जो डरते है वह धर्म करते नहीं। जिनशासन में कायर की जगह नहीं है,इसमें महावीर को ही प्रवेश मिलता है। धर्मसभा में कल्पलताजी म.सा. ने गुरूभक्ति से ओतप्रोत भजन जय-जय जिनशासन के संत की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में पूज्य साध्वी प्रवर कीर्तिलताजी म.सा., साध्वी ऋजुलताजी म.सा.एवं प्राज्ञलताजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में वरिष्ठ श्रावक शांतिलाल पोखरना, शांतिलाल खमेसरा,पुष्पा गोखरू,विमल चोधरी, सरला जैन,स्नेहा खमेसरा,भोपालसिंह खमेसरा,रतनलाल बड़ौला,नवीन नाहर,लीला खमेसरा,धनराज रांका आदि ने विचारों व भजनों के माध्यम से पूज्य पन्ना गुरूवर को भावाजंलि अर्पित की।
महिला मण्डल की सदस्यों ने पूज्य पन्ना गुरूवर के जीवन पर नाटिका प्रस्तुत की। शांतिभवन में पर्वाधिराज पर्युषण की धर्म आराधना के लिए भीलवाड़ा शहर के विभिन्न क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाएं उमड़ रहे है। धर्मसभा में अंकुश खमेसरा, ज्ञानचंद तातेड़, गौरव सुराणा आदि ने छह-छह उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने पांच,तेला,बेला,उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि के प्रत्याखान लिए। संचालन शांतिभवन श्रीसंघ के मंत्री सुशीलकुमार चपलोत ने किया। प्रतिदिन शाम के प्रतिक्रमण करने भी बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं पहुंच रहे है। शांतिभवन में श्रीसंघ द्वारा पर्युषण में श्रुत सेवा के लक्ष्य से निःशुल्क धार्मिक साहित्य का वितरण भी किया जा रहा है। इसके लिए मुख्य द्वार के पास स्टॉल लगाया गया है। प्रवचन श्रवण के लिए आने वाले कई श्रावक-श्राविकाओं ने अपनी जरूरत के अनुसार साहित्य प्राप्त कर लाभ लिया है।
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