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राजस्थान में देशी नस्ल की गायों को मिले राज्यमाता का दर्जा : कोठारी

Native breed cows should get the status of Rajyamata in Rajasthan: Kothari - Bhilwara News in Hindi

भीलवाड़ा। विधायक अशोक कुमार कोठारी द्वारा मुख्यमंत्री एवं पशुपालन मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि सनातन संस्कृति की प्रहरी हमारी गौमाता को राज्यमाता की उपाधि मिलनी चाहिये। प्राचीन काल से ही मनुष्य के दैनिक जीवन में गाय का अद्वितीय महत्व है। प्राचीनकाल में गाय के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और सैन्य महत्व को ध्यान में रखते हुए गौ माता को ‘‘कामधेनु’’ की संज्ञा भी दी गई थी। सनातन संस्कृति में गायों के लिए गौ माता से संबोधित किया जाता रहा है जो कि इसकी महिमा को बताने के लिए पर्याप्त है। स्वयं ठाकुर जी ने भी जो भगवान श्री कृष्ण हैं वो गौमाता के पीछे नंगे पाँव दौड़े थे। प्रभु श्रीराम का जन्म भी गौमाता की सेवा का ही प्रताप है। भगवान महावीर के प्रत्येक श्रावक के पास 40-40 हजार गायें हुआ करती थीं। शास्त्रों में यहाँ तक भी लिखा हुआ है कि गौमाता की पूँछ पकड़ कर वैतरणी पार की जा सकती है। गौ माता में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है। इतिहास गवाह है कि राजस्थान में पाबूजी महाराज, तेजाजी महाराज, झुझार जी महाराज आदि लोक देवताओं द्वारा अपने प्राणों की आहुति गौमाता की रक्षा हेतु दी है। वर्तमान में जीडीपी का 13 प्रतिशत से अधिक सकल घरेलू आय डेयरी और पशुपालन से होती है। देशी नस्ल की गायों पर विभिन्न वैज्ञानिक शोध से ज्ञात हुआ है कि इनके दूध में उच्चतम गुणवत्ता का प्रोटीन व अन्य औषधीय गुण पाये जाते हैं, इसीलिए उक्त दूध को ए2 दुग्ध की संज्ञा दी गई है। राजस्थान में देशी नस्ल की गायों की संख्या दिन ब दिन कम होती जा रही है, आज राज्य की देशी नस्ल जैसे थारपारकर, नागौरी, सहीवाल व राठी आदि अपनी पहचान खोती जा रही है। गाय के दूध और गौ मूत्र के महत्व को देखते हुए देशी गायों की संख्या में अचानक गिरावट चिंता का विषय है। पशुपालक भाइयों को देशी नस्ल की गाय पालने के लिए प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है। देशी गाय को राज्यमाता मानने की मुख्य वजह गाय को धन, शक्ति और मातृप्रेम का प्रतीक माना जाता है। गाय के दूध से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और रेडियो एक्टिव विकिरणों से होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है। देशी गाय के घी से हवन करने से ऑक्सीजन उत्सर्जित होती है। यह घी कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। गौमूत्र में पारद और गंधक के तात्विक गुण होते हैं, जिससे कैंसर जैसे रोग भी जड़ से नष्ट हो जाते हैं। गौमाता में अपार सकारात्मक ऊर्जा पाई जाती है। यह सृष्टि में एकमात्र ऐसा प्राणी है जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है।

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Web Title-Native breed cows should get the status of Rajyamata in Rajasthan: Kothari
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