भीलवाड़ा। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा श्रमिकों के कल्याण की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए गंभीरता से प्रयास किये जा रहे हैं। ऐसी ही एक योजना है ‘‘महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजना‘‘ राज्य सरकार द्वारा योजना के माध्यम से कृषि मंडियों में काम करने वाले हम्माल, तुलारा एवं पल्लेदारों को बच्चे पैदा होने पर, बच्चों की शिक्षा एवं विवाह के लिए तथा चिकित्सा के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है।
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मंडी सचिव महिपाल सिंह ने बताया कि योजना के माध्यम से अनुज्ञप्तिधारी महिला हम्माल एवं पल्लेदारों को प्रसुति सहायता, पुरुष को पितृत्व सहायता, महिला के विवाह और पुरुष एवं महिला हम्माल और पल्लेदारों की दो पुत्रियों की सीमा तक 50 हजार रुपये प्रति विवाह सहायता दी जाती है। इसी प्रकार मेधावी छात्रों को कक्षा 10 से स्नातकोत्तर तक 2 हजार से 6 हजार तक की छात्रवृत्ति और 20 हजार रुपये तक की चिकित्सा सहायता मुहैया कराई जाती है। प्रदेश की कृषि उपज मंडी समितियों द्वारा हम्माल, तुलारा एवं पल्लेदारी का अंशदान जमा कराना अनिवार्य है। इसके लिए मंडी समितियों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
विशिष्ठ एवं ‘अ‘ श्रेणी की मंडियों द्वारा प्रति श्रमिक 1000 रुपये, ‘ब‘ श्रेणी की मंडियों द्वारा 500 रुपये, ‘स‘ श्रेणी की मंडियों द्वारा 300 रुपये और ‘द‘ श्रेणी की मंडियों द्वारा 200 रुपए प्रति श्रमिक अंशदान जमा करवाया जाता है। योजना के तहत अधिकतम दो बेटियों के विवाह के लिए प्रति बेटी के विवाह पर 50 हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाती है साथ ही अनुज्ञप्तिधारी महिला के विवाह पर भी 50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है। सहायता के लिए आवेदक को विवाह के 90 दिन में आवेदन प्रस्तुत करना आवश्यक है।
अनुज्ञप्तिधारी हम्माल एवं पल्लेदारों को कैंसर, हार्ट अटैक, लीवर, किडनी जैसी गंभीर बीमारियों से प्रसित होने पर सरकारी अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र, राज्य सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए अधिकृत अस्पताल में भर्ती होने पर चिकित्सा सहायता के लिए अधिकतम 20 हजार रुपए की सहायता प्रदान की जाती है।योजना के तहत महिला हम्मालों एवं पल्लेदारों को अधिकतम दो प्रसूतियों पर 45 दिन की मजदूरी के समतुल्य राशि का भुगतान करके सहायता प्रदान की जाती है। इसी प्रकार पुरुष हम्माल को पितृत्व अवकाश के रूप में निर्धारित प्रचलित मजदूरी दर के अनुसार 15 दिन की मजदूरी का भुगतान किया जाता है।
इसके लिए आवेदक को 3 माह के भीतर आवेदन प्रस्तुत करना होता है। योजना के तहत जिनके अभिभावक मंडी में अनुज्ञप्तिधारी हम्माल का पल्लेदार हैं, उनके प्रत्येक बेटे-बेटियों (अधिकतम दो बच्चों की सीमा तक) को छात्रवृत्ति प्रदान करके शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित किया जाता है। जिसमें कक्षा 10वीं में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र को 3 हजार रुपये, छात्रा को 3 हजार 500 रुपये, 70 से 80 प्रतिशत अंक वाले छात्रों को 2 हजार रूपये तथा छात्रा को 2 हजार 500 रुपये की छात्रवृत्ति एकमुश्त प्रदान की है। इसी प्रकार कक्षा 12वीं में 90 प्रतिशत से अधिक अंक वाले छात्र को 5 हजार रुपये, छात्रा को 6 हजार रूपये, 80 से 90 प्रतिशत अंक वाले छात्र को 4 हजार रूपये, छात्रा को 5 हजार रूपये, 70 में 80 प्रतिशत अंक वाले छात्र को 3 हजार, छात्रा को 4 हजार रूपये की छात्रवृत्ति दी जाती है।
स्नातक में अध्ययनरत विद्यार्थियों को 60 प्रतिशत से अधिक अंक आने पर छात्र को 4 हजार, छात्रा 5 हजार रूपये, स्नातकोत्तर में 60 प्रतिशत से अधिक अंक आने पर छात्र को 5 हजार तथा छात्रा को 6 हजार रूपये की छात्रवृत्ति एकमुश्त देकर आर्थिक संबल प्रदान किया जाता है। योजना के तहत हम्मालों एवं पल्लेदारों को 18 से 60 वर्ष की आयु होने तथा राज्य का मूल निवासी होने पर सहायता दी जाती है साथ ही उनका राजस्थान कृषि उपज मंत्री समिति अधिनियम 1961 के अधीन अनुज्ञप्ति धारी होना तथा राज्य की कृषि मंडियों में निर्धारित कार्य करने की आवश्यक शर्त है। इन्हें किसी अन्य स्त्रोत से वेतन प्राप्त नहीं होने पर ही सहायता देय है।
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