- प्रकाश चपलोत -
भीलवाड़ा। देश के प्रमुख उद्योगपति जिंदल समूह के सामने राजस्थान की भाजपानीत भजन लाल सरकार पूरी तरह बिछ गई है। भीलवाड़ा में स्टील प्लांट लगाने के लिए पेराफेरी, ग्रीन बैल्ट और वाटर बोडीज में लैंडयूज चेंज किया जा रहा है। वह भी तब जब पत्रकार गुलाब कोठारी की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने पेराफेरी और ग्रीन बैल्ट की जमीन में बड़े जनहित को छोड़कर अन्य मामलों में भू- उपयोग परिवर्तन (लैंड यूज चेंज) करने पर रोक लगा रखी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सूत्रों के मुताबिक इसके लिए नगर नियोजन विभाग की ओऱ से 16 अक्टूबर, 2024 को नगरीय विकास एवं आवासन विभाग के प्रमुख सचिव वैभव गालरिया की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय भू- उपयोग परिवर्तन समिति की बैठक कराई जा चुकी है।
जब इस बारे में खासखबर डॉट कॉम द्वारा मुख्य नगर नियोजक मुकेश चंद मित्तल से जानकारी चाही गई तो उनका कहना था कि मीटिंग के मिनिट्स अनुमोदन के लिए विभागीय मंत्री झाबर सिंह खर्रा को भेजे हुए हैं। जब तक मीटिंग के मिनिट्स अनुमोदित नहीं होते, उससे पहले इस बारे में वे अधिक जानकारी देने में सक्षम नहीं है। लेकिन, इतना तय है कि हाईकोर्ट के आदेशों का कोई उल्लंघन नहीं किया जा रहा है।
भीलवाड़ा के स्थानीय लोगों का कहना है कि जिंदल माइंस की वजह से 1500 से 2000 मकानों में दरारें आ गई थीं। इसके लिए स्थानीय लोगों को आंदोलन के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा काफी लोगों का पुनर्वास किया था। भीलवाड़ा शहर में चर्चा है कि पेराफेरी बैल्ट में लैंड यूज चेंज करवाने के लिए मोटी रकम का लेन-देन हुआ है. क्योंकि इस तरह के काम बिना सुविधा शुल्क के नहीं होते।
जानिए, क्या है भाजपा का जिंदल समूह से कनेक्शनः
बता दें कि हाल ही लोकसभा चुनाव के दौरान लंबे समय से कांग्रेस में रहे उद्योगपति नवीन जिंदल को तोड़कर हरियाणा भाजपा में शामिल किया गया था। भाजपा ने नवीन जिंदल को कुरुक्षेत्र से लोकसभा का टिकट देकर चुनाव लड़वाया और सांसद बनाया। इसके बाद हिसार में उनकी माता सावित्री जिंदल ने पहले तो भाजपा से टिकट मांगा। जब भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो वे भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ गईं। जीतने के बाद हालांकि उन्होंने भाजपा को समर्थन दिए जाने का ऐलान किया है। इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात कराने में भी जिंदल समूह के कर्ताधर्ताओं की भूमिका सामने आई थी।
कांग्रेस सरकार के समय भी हुआ था जिंदल को माइंस देने का विरोधः
उल्लेखनीय है कि जिंदल समूह को भीलवाड़ा शहर के पुर कस्बे में पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान बहुत बड़े एरिया में ऐसी माइंस अलॉट की गई थीं, जिनमें लोहा, सोना और महंगी धातुएं प्रचुर मात्रा में निकलता है। तब भाजपा के विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी ने विधानसभा में इसका मुद्दा उठाया था।
वर्तमान मांडल विधायक उदयलाल भड़ाना भी इसका मुद्दा उठा चुके हैं। बताते हैं कि पहले इसमें कांग्रेस विधायकों की गाड़ियां किराए पर चलती थीं। जिंदल समूह अब पुर में ही बड़ा स्टील प्लांट लगाने की तैयारी में है। स्थानीय लोगों के मुताबिक जिंदल समूह ने करीब डेढ़ दशक पहले कांग्रेस सरकार में खान विभाग से 1000 करोड़ की लागत से स्टील प्लांट लगाने का एमओयू किया हुआ है।
जानिए, क्या कहता है राजस्थान हाईकोर्ट का आदेशः
पत्रकार गुलाब कोठारी की याचिका पर दिए फैसले के पैरा संख्या 1 से 10 में हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि परिधिय नियंत्रण बेल्ट में भूमि उपयोग नहीं बदला जा सकता है। औद्योगिक क्षेत्र को आबादी से दूर रखा जाना चाहिए। इसे पर्याप्त ग्रीन/बफर ज़ोन (कम से कम 1 किलोमीटर) के साथ सुरक्षित रखा जाना चाहिए।
एक्सपर्ट व्यूः पेराफेरी बैल्ट में लैंड यूज चेंज करना कोर्ट की अवमाननाः
राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पूनमचंद भंडारी का कहना है कि पेराफेरी बैल्ट में स्टील प्लांट के लिए लैंड यूज चेंज करना स्पष्ट रूप से राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। क्योंकि सरकार अथवा कोई भी विभाग मास्टर प्लान में दर्शित ग्रीन बैल्ट, पेराफेरी बैल्ट में न तो निर्माण की इजाजत दे सकता है और न ही लैंड यूज चेंज कर सकता है। ऐसा करना कानूनी रूप से गलत है।
क्या विजय नगर प्रकरण की होगी जांच:
मुकेश मितल ने अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक के पद पर रहते हुए विजय नगर पालिका क्षेत्र में कुल 9 प्रकरण में ग्रीन बेल्ट में 1.8.24 को मिश्रित उपयोग के पहले आदेश दिए। लेकिन, बाद में 17 सितंबर 2024 को खुद ने ही गलत बताते हुए निरस्त कर डाला। इस प्रकरण में भी लेन-देन हुआ बताते हैं। वरिष्ठ स्तर के अधिकारी अगर अपने पद का ऐसे खुलेआम दुरुपयोग कर पदोन्नति के साथ मुख्य नगर नियोजक पद का अतिरिक्त चार्ज लेंगे तो हाईकोर्ट आदेश की अवहेलना होने से कैसे रुक सकती है।
मंत्री ने पल्ला झाड़ा, खर्रा बोले- मेरा इससे कोई लेना-देना नहींः
इधर, नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने इस प्रकरण से पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया है। उनका कहना है कि इस मामले से उनका व्यक्तिगत स्तर पर कोई लेन-देन नहीं है। लैंड यूज चेंज करने का फैसला अफसरों की कमेटी यानि राज्य स्तरीय भू उपयोग परिवर्तन समिति की बैठक में होता है।
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