भीलवाड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर में ईमानदारी का ढिंढोरा पीटने के साथ ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का ढोल पीट रहे हैं। वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए जाने के दावे कर रहे हैं। लेकिन, भीलवाड़ा नगर परिषद की स्थिति इन हालात को कुछ अलग ही तरह से बयां कर रही है।
दरअसल, सभी नगरीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से केंद्र की मोदी सरकार ने सभी निकायों में यूडी टैक्स की वसूली को अनिवार्य किया है। जो निकाय इसे लागू नहीं करेंगे उनकी ग्रांट रोके जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद भीलवाड़ा नगर परिषद के अफसर सुविधा शुल्क के इंतजार में पिछले कई महीने से यूडी टैक्स का टेंडर ही फाइनल नहीं कर रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नगर परिषद सूत्रों की मानें तो यूडी टैक्स के इस टेंडर की तकनीकी और वित्तीय निविदाएं खोले हुए 5 माह से ज्यादा समय बीत चुका है। कायदे से नेगोसिएशन करके इस टेंडर को महीने भर में ही फाइनल कर दिया जाना चाहिए था। लेकिन, नगर परिषद के अफसर नेगोसिएशन के नाम पर इस टेंडर को फाइनल नहीं कर रहे हैं। शायद टेंडर लेने वाली कंपनी अथवा ठेकेदार का इंतजार कर रहे हैं कि वह आकर सुविधा शुल्क दे तो टेंडर को फाइनल किया जाए।
नगर परिषद सूत्रों का कहना है कि जिस फर्म के पक्ष में टेंडर खोला गया है, उस फर्म की ओर से नेगोशिएबल दरें दी जा चुकी हैं। लेकिन, आयुक्त के स्तर पर बार-बार दरें नेगोसिएट करने के लिए कहा जा रहा है। नीचे के स्टाफ को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर आयुक्त किन दरों पर यूडी टैक्स का कलेक्शन करवाना चाहते हैं। क्योंकि जो दरें आई हैं. वह राजस्थान के अन्य नगर परिषद और नगर निगमों में कराए जा रहे कार्य की दरों से कम अथवा लगभग बराबर हैं।
नगर परिषद सूत्रों के मुताबिक बजट का आखिरी माह यानि मार्च खत्म होने को है। अगर शीघ्र टेंडर फाइनल नहीं हुआ तो नगर परिषद को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होना तय है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के कारण फिर इस काम का अगले 2-3 माह और लटकने की संभावना है।
स्थानीय स्टाफ का कहना है कि भीलवाड़ा नगर परिषद आयुक्त अपने बनाए नियम एवं शर्तों पर काम करवाना चाहते हैं। क्योंकि जो दरें प्राप्त हुई हैं उनमें अधिकतम और न्यूनतम दर में 5 प्रतिशत से ज्यादा का अंतर होने व अन्य स्वायत्त शासी संस्थाओं द्वारा प्राप्त दरों पर कार्य करवाने के आदेश के बावजूद ठेके को आंतरिक रूप से अंतिम रूप दिया जा चुका है। इस तरह दाल में कुछ काला नजर आ रहा है। यानि नगर परिषद के अफसर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और भाजपा सरकार को बदनाम करवाने के प्रयास में हैं कि इस सरकार में पारदर्शिता और ईमानदारी से कोई काम नहीं होता।
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