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प्रभु की शरण स्वीकार कर जिनशासन की सेवा करते रहे : प्रवीणाश्रीजी म.सा.

Accepting the Lords refuge, he continued to serve the Jain religion: Praveenashreeji M.S. - Bhilwara News in Hindi

-चातुर्मासिक विदाई समारोह में श्रावक श्राविकाओं ने व्यक्त किए मन के भाव भीलवाड़ा। प्रभु की शरण स्वीकार करने से जीवात्मा को मुक्ति प्राप्त हो सकती है। हजारों मिथ्यादृष्टि को दान देने से उतना लाभ नहीं मिलता जितना एक सम्यक दृष्टि को भोजन कराने से प्राप्त होता है। हजारों सम्यक दृष्टि को भोजन कराने की अपेक्षा अधिक लाभ एक श्रावक को भोजन कराने से मिलता है। हजारों श्रावकों को भोजन कराने की अपेक्षा एक साधु को अहोभाव के साथ गोचरी बहराने से लाभ मिलता है। ये विचार युगदृष्टा आचार्य ज्ञानचंद्रजी म.सा. की आज्ञानुवर्ति परम विदुषी तप दीप्ति महाश्रमणी रत्ना महासाध्वी प्रवीणाश्री म.सा. ने श्री अरिहन्तमार्गी जैन महासंघ के तत्वावधान में भीलवाड़ा के श्री प्राज्ञ स्वाध्याय भवन में बुधवार को वीर लोकाशाह जयंति पर चातुर्मासिक विदाई समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हजारों साधु की अपेक्षा एक आचार्य की सेवा करने से लाभ मिलता है। सेवा करने से तीर्थंकर गौत्र का बंध भी होता है। हमे अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए जिनवाणी को शुद्ध ह्दय से अपनाकर अपने धनघाती कर्मो का क्षय कर केवल ज्ञान प्राप्त करना है। इसके लिए प्रभु की शरण को स्वीकार करना होगा। साध्वीश्री ने चातुर्मास में जप,तप व भक्ति करने वाले श्रावक श्राविकाओं के प्रति हार्दिक मंगलभावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि चातुर्मास में जो जिनवाणी सुनने को मिली उसे आत्मसात करने पर चातुर्मास अधिक सार्थक बन जाएगा। विदाई समारोह में कई श्रावक-श्राविकाओं ने गीतों व विचारों के माध्यम से मन के भाव अभिव्यक्त करते हुए कहा कि इस सफल चातुर्मास की यादे सदा स्मृतियों में रहेगी। विचार व्यक्त करने वालों में रोशनलाल दुग्गड़, पदमचंद डांगी, मनोज भड़कत्या, मधु मेड़तवाल, लक्ष्मी पोखरणा, पूजा रांका आदि शामिल थे। प्राज्ञ महिला मण्डल की सदस्यों ने भी विदाई गीत प्रस्तुत किया। अरिहन्तमार्गी संघ भीलवाड़ा के मंत्री नौरतमल गुगलिया ने विदाई गीत के माध्यम से मन के भाव व्यक्त करने के साथ चातुर्मास में सहयोगी प्राज्ञ संघ एवं सभी श्रावक श्राविकाओं का आभार जताया। धर्मसभा में साध्वी नम्रताश्रीजी म.सा., साध्वी स्वर्णरेखाजी म.सा.,साध्वी जागृतिश्रीजी म.सा., अतुलप्रभाजी म.सा., निर्जराश्रीजी म.सा., निसर्गश्रीजी म.सा.,केवलीश्रीजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। चातुर्मास को सफल बनाने में सभी श्रावक श्राविकाओं के सहयोग के लिए अरिहन्तमार्गी संघ भीलवाड़ा की ओर से सभी का स्वागत अभिनंदन किया गया। चातुर्मास के अंतिम दिवस तक तपस्या की लड़ी जारी रही। सुश्रावक प्रकाश जैन ने तेला तप का प्रत्याख्यान लिया। सफल चातुर्मास समापन पर गुरूवार दोपहर 12.15 बजे साध्वी मण्डल प्राज्ञ भवन से विहार कर विजयसिंह पथिकनगर में मालू हॉस्पिटल के पास स्थित ए-145, सुरेन्द्रसिंह शुभम रांका परिवार के निवास पहुचेंगा। श्री अरिहन्तमार्गी जैन महासंघ,शाखा भीलवाड़ा के अध्यक्ष अनिल डांगी, मंत्री नौरतमल गुगलिया, सभा संचालक महावीर पोखरणा, कोषाध्यक्ष हिमांशु रांका एवं अन्य पदाधिकारियों ने अधिकाधिक संख्या में श्रावक श्राविकाओं से महासाध्वी मण्डल के प्रथम विहार में शामिल होकर धर्मलाभ प्राप्त करने का आग्रह किया है। धर्मसभा में श्री अरिहन्तमार्गी जैन महासंघ द्वारा अतिथियों का स्वागत अभिनंदन किया गया। संचालन महावीर पोखरना ने कियाा। धर्मसभा में विभिन्न क्षेत्रों से गुरूभक्त पधारे ओर दर्शन व धर्मलाभ प्राप्त किया।

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