भरतपुर। यहां जिला कलेक्ट्रेट के सामने बने करीब आधा दर्जन घरों में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब एक सरकारी विभाग के दो कर्मचारी वहां पहुंचे और लोगों के मकानों पर लाल निशान लगाकर उन्हें घर खाली करने के निर्देश देने लगे। कर्मचारियों ने बताया कि कलेक्ट्रेट की रोड से 36 मीटर की दूरी तक का क्षेत्र सरकार का है और यहां बने घरों को अतिक्रमण मानते हुए हटाया जाएगा।
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50 सालों से रह रहे लोगों ने बताई आपबीती, कहा – "मिल चुके हैं पट्टे"
जैसे ही यह खबर इलाके में फैली, वहां रहने वाले लोग जमा हो गए और उन्होंने कर्मचारियों का घेराव करते हुए अपना विरोध जताया। लोगों का कहना था कि वे पिछले 50 वर्षों से इस इलाके में रह रहे हैं और उन्हें नगर निगम से पट्टे भी दिए जा चुके हैं। कई परिवारों ने बताया कि उनके घरों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का बनाने के लिए सहायता भी मिली है। ऐसे में अचानक मिले इस खाली करने के आदेश को वे अन्यायपूर्ण मानते हैं।
गुरुद्वारे पर भी हटाने का आदेश, लोगों का बढ़ा आक्रोश
इस क्षेत्र में एक पुराना गुरुद्वारा भी स्थित है, जिसे भी हटाने का निर्देश कर्मचारियों ने दिया। इस फैसले से लोगों में और आक्रोश फैल गया, और उन्होंने इसे धार्मिक भावनाओं पर प्रहार करार दिया।
लोगों का विरोध देख कर्मचारी लौटे, कार्यवाही फिलहाल स्थगित
लोगों की बढ़ती भीड़ और आक्रोश के आगे कर्मचारियों ने नोटिस देने का साहस नहीं किया और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को स्थिति की जानकारी देने की बात कहकर वहां से लौट गए। लोगों का विरोध देखते हुए फिलहाल यह कार्यवाही स्थगित कर दी गई है, लेकिन लोगों में आशंका है कि यह मामला फिर से उठ सकता है।
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