विधानसभा संवाददाता
जयपुर। गहलोत सरकार में आयुर्वेद एवं तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री रहे डॉ. सुभाष गर्ग ने बुधवार को विधानसभा में आयुर्वेद, होम्योपैथिक के बजाय विभाग का नाम बदलकर आयुष विभाग रखे जाने का सुझाव दिया। क्योंकि केवल आयुर्वेद बोलने से होम्योपैथी, यूनानी, सिद्धा, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा जैसी पद्धतियों की उपेक्षा हो जाती है। जबकि ये चिकित्सा पद्धतियां अंग्रेजी दवाइयों की तुलना में काफी सस्ती और कारगर हैं। भारत सरकार में भी इस विभाग का नाम आयुष मंत्रालय ही है। इसके साथ ही उन्होंने संभाग स्तर पर इन चिकित्सापैथियों के इंटीग्रेटेड कॉलेज खोले और बजट बढ़ाए जाने का सुझाव भी दिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डॉ. सुभाष गर्ग बुधवार को राज्य विधानसभा में आयुर्वेद, होम्योपैथी एवं यूनानी चिकित्सा, देवस्थान, पशुपालन एवं मत्स्य विभागों की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा में बोल रहे थे। गर्ग ने कहा आयुष के लिए एक इंटीग्रेटेड पॉलिसी बनाई जानी चाहिए। इसके तहत एक ही कैंपस में आयुष का इंटीग्रेटेड कॉलेज खोला जाए। जिसमें होम्योपैथी, यूनानी, आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा और सिद्धा समेत सभी चिकित्सा पद्धतियां हों।
उन्होंने कहा कि सदन में बहुत सारे सदस्यों ने चर्चा की है। लेकिन, वे बताना चाहेंगे कि आयुर्वेद में 7 करोड़ 37 लाख से ज्यादा लोग ओपीडी एवं आईपीडी में आए हैं। यह 2022-23 का आंकड़ा है। इसी तरह 1 करोड़ 29 लाख लोगों ने होम्योपैथी में दवाएं ली हैं। इसी तरह यूनानी की 46 लाख लोगों ने और प्राकृतिक चिकित्सा का कंसेप्ट नया है, फिर भी इसमें करीब 61 हजार लोगों ने चिकित्सा कराई है। उन्होंने भारत सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि योग एवं नेचुरोपैथी को हाल ही आय़ुष में शामिल किया है।
इस तरह पूरे आंकड़े को देखें तो सरकारें केंद्र या राज्य चाहे आपकी हो या हमारी हो। मेडिकल हैल्थ पर 26 से 27 हजार करोड़ रुपए सालाना खर्च करती हैं। जबकि आयुष में हम 1358 करोड़ रुपए ही खर्च कर रहे हैं। इसलिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से आग्रह है कि आयुष का बजट बढ़ाया जाए।
डॉ. सुभाष गर्ग ने सदन के माध्यम से भारत सरकार से अपील की कि पूरे देश के लिए आयुष में 4000 करोड़ रुपए का बजट दिया है। जबकि हम भारत को फिट इंडिया बनाना चाहते हैं। इसके लिए आयुष को अपनाना पड़ेगा। क्योंकि जो फैलने वाली बीमारियां उनका जो इलाज है, वह आयुष में है। इसलिए इस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए भारत सरकार से भी विशेष आग्रह किया जाना चाहिए।
उन्होंने यूनानी चिकित्सा का जिक्र करते हुए सदन को बताया कि पहले पूरे देश में यूनानी का केवल एक ही सेंटर था। दूसरा सेंटर अशोक गहलोत सरकार के कार्य़काल में भरतपुर में खोला गया। जिसे रेजीमेंटल निजामा थैरेपी सेंटर कहते हैं। इसकी ओपीडी में 90 प्रतिशत लोग इसमें हिंदू आते हैं। जबकि अक्सर इसे धर्म और संप्रदाय विशेष के साथ जोड़ा दिया जाता है। इस सेंटर में उपकरणों की खरीद के लिए उन्होंने खुद अपने विधायक कोष से 10 लाख रुपए दिए हैं। ऐसे सेंटर और खोले जाने चाहिए क्योंकि इससे बेहतर चीज किसी अन्य पैथी में नहीं है। पिछले वर्षों में संस्थागत विस्तार काफी किया है। आंकड़े देख सकते हैं।
आयुर्वेद और होम्योपैथी को पंचायत मुख्यालय स्तर पर ले जाएंः
उन्होंने कहा कि पंचायत मुख्यालय स्तर पर आयुर्वेद और होम्योपैथी को ले जाने की जरूरत है। जबकि ब्लॉक स्तर हमें साल 2021 की पॉलिसी में कहा था कि ब्लॉक स्तर पर आयुर्वेद, होम्योपैथी का अस्पताल हो। योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा का अस्पताल होना चाहिए। इसके लिए भर्तियां भी की गई थीं। इसलिए आयुष के विस्तार के लिए और बजट बढ़ाए जाने की जरूरत है। इन पैथियों की दवाइयां मेडिकल की तुलना में काफी सस्ती हैं।
आयुर्वेद दवाइयों के लिए प्राइस कंट्रोल मैकेनिज्म लागू होः
आयुर्वेद की दवाइयों के लिए प्राइस कंट्रोल मैकेनिज्म लागू करें। क्योंकि बाजार में कई बार मिलावट वाली दवाएं आ जाती हैं। साथ ही लैब स्थापित की जाएं। इसके साथ ही फार्मेसी अपनी ही तैयार की जानी चाहिए। हालांकि राजस्थान में हमारी फार्मेसी हैं, लेकिन इन्हें और डवलप कर देंगे तो बहुत अच्छा होगा।
भरतपुर में आयुष के इंटीग्रेटेड कॉलेज का काम शुरूः
डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि भरतपुर में होम्योपैथी क़ॉलेज के लिए भारत सरकार ने एक करोड़ रुपए दिए हैं। इसके लिए भारत सरकार को धन्यवाद देना चाहते हैं। यहां आयुष के इंटीग्रेटेड कॉलेज का काम शुरू हो चुका है। हालांकि पिछली सरकार में संभाग स्तर पर होम्योपैथी और आयुर्वेद कॉलेज खोलने का फैसला किया गया था।
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