भरतपुर। नगर निगम प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जीवित महिला को मृत मानकर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया। महिला द्वारा नगर निगम अधिकारियों को अवगत भी कराया जा चुका है। लेकिन, अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
पीड़िता का कहना है कि वह 24 साल की है और अभी जिंदी है। लेकिन, सरकारी कागजों में मृत होने के चलते कोई भी सरकारी योजना का लाभ नहीं ले पा रही है। नगर निगम आयुक्त भी इस मामले को लेकर के गंभीर नहीं दिखे। उन्होंने टालमटोल करते हुए संबंधित अधिकारी से जानकारी करने के लिए बोला है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पीड़िता तयौंगा हाल सोगरिया मोहल्ला निवासी 24 वर्षीय सेल्जा सागर ने बताया कि वह 23 अगस्त 2022 को प्रसव के लिए जनाना अस्पताल में भर्ती हुई थी। प्रसव के दौरान एक बच्ची को जन्म दिया। दो दिन बाद बच्ची की मौत हो गई। बड़े भाई रविकांत ने मृत बच्ची लाव्या का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए नगर निगम में एप्लाई किया।
नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा लापरवाही पूर्वक मृत बच्ची लाव्या की जगह मुझे मृत घोषित कर 2 सितंबर को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। जब इसकी शिकायत नगर निगम के अधिकारियों से की गई तो उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। अब 2 साल हो चुके हैं। लेकिन अभी तक मृत्यु प्रमाण पत्र सही नहीं हुआ। जिसके चलते उसे सरकारी योजनाओं के लाभ लेने में काफी परेशानी आ रही है।
जब नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारियों के द्वारा इसे सही नहीं किया गया तो थक हार कर में अपने घर बैठ गई।
नगर निगम आयुक्त रिछपाल सिंह बुडरक से जब इस मामले को लेकर जानकारी चाही गई तो उन्होंने साफ मना करते हुए कहा जब तक पीड़िता लिखित में शिकायत नहीं देगी तब तक हमें क्या पता कि किसका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुआ। उन्होंने इस बारे में अधिक जानकारी देने से मना कर दिया।
नगर निगम रजिस्ट्रार प्रवीण भारद्वाज ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। संबंधित बाबू को जांच करने के लिए बोला गया है। जांच के बाद ही मामला साफ हो पाएगा कि यह किसकी गलती और किसकी लापरवाही से जारी हुआ।
हालांकि नगर निगम में जीवित लोगो के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने का पहला मामला नहीं है बल्कि इस प्रकार के पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं। जांच के बाद भी लापरवाही अधिकारी एवं कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
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