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जयपुर । राजस्थान में सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस भले ही आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए चुनावी मोड पर हो, लेकिन भाजपा और कांग्रेस पार्टी के जिम्मेदार नेता, जो सत्ता में है या सत्ता में रहे चुके है, वह गलत नीतियों के चलते राजस्थान में इंजीनियरिंग शिक्षा का बंटाधार करवा चुके है।
जी हां इस साल यानी शिक्षण सत्र 2018-2019 में प्रदेश के निजी और सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में रीप (REAP )-2018 के जरिये कुल 39 हजार 127 सीटों पर छात्र-छात्राओं का प्रवेश होना था, लेकिन 23 जुलाई 2018 तक के आंकड़े यह बताने के लिए काफी है कि बढ़ती बेरोजगारी की वजह से राजस्थान में इंजीनियरिंग शिक्षा का बेड़ा गर्क हो चुका है। अभी तक सिर्फ 10 हजार 894 ही सीटें छात्र-छात्राओं को अलॉट हुई है। इसमें से प्रदेश के 12 सरकारी कॉलेजों में 4262 सीटें छात्र-छात्राओं को अलॉट हुई है और 108 प्राइवेट कॉलेज में 6632 सीटें अलॉट हुई है। आपको बता दे कि रीप के जरिये प्रदेश के कुल 120 इंजीनियरिंग कॉलेजों में सिर्फ 11 हजार 858 छात्र-छात्राओं ने ही इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए आवेदन किया था, जबकि सीटों की संख्या 39 हजार 127 है।
अगर पिछले शिक्षण सत्र यानी 2017-18 की बातें करें तो खास खबर डॉट कॉम ने ही सबसे पहले यह खबर दी थी कि 46 हजार 906 सीटों मेें से सिर्फ 17 हजार 421 सीटों पर प्रवेश हुआ था। इस सत्र में 29 हजार 485 सीटें खाली रही थी। इससे पहले वर्ष 2016-2017 में कुल 52 हजार 768 सीटें थी, इस दौरान सिर्फ 20420 सीटों पर प्रवेश हुआ था। इसी तरह वर्ष 2015-2016 में कुल 57 हजार 686 सीटें थी और अाधी से भी कम यानी कि 25 हजार 804 सीटों पर प्रवेश हुआ था।
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