भरतपुर। एक समय था जब ग्रामीण इलाकों में कुआं सिंचाई के साथ-साथ प्यास बुझाने का मुख्य माध्यम हुआ करते थे, लेकिन वर्तमान में जल के निरंतर दोहन एवं कम बारिश के चलते सूख चुके कुएं अब हादसों को न्योता दे रहे हैं। आम रास्तों से सटे कुओं के पास से बुजुर्गों के साथ बच्चों का निकलना आम बात है, जो कभी भी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। जिला प्रशासन को शीघ्र ही ऐसे कुओं को बंद कराने या उन्हें ढंकने का कार्य करना चाहिए, ऐसा नहीं होने की स्थिति में हादसे की अंदेशा बनी हुई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गत वर्ष 26 नवम्बर को उपखण्ड डीग की उपतहसील जनूथर के निकटवर्ती ग्राम दांतलौठी में ऐसा ही हादसा देखने को मिला, जहां एक तीन वर्षीया मासूम बालिका की खेलते समय कुएं में गिरने से मौत हो गई। गांवों में नाकारा हो चुके ऐसे कई कुएं हैं, जिनकी मुंडेर टूटी हुई है और आम रास्तों के साथ आबादी क्षेत्र में हैं। यदि प्रशासन ने इनकी तरफ ध्यान नहीं दिया तो बड़ा हादसा हो सकता है।
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