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भरतपुर। शहर में सफाई कर्मचारियों का गुस्सा एक बार फिर फूट पड़ा। बाल्मीकि सफाई सैनिक संघर्ष समिति ने अपनी मांगों को लेकर नगर निगम के गेट पर जबरदस्त धरना दिया। इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई जनता आंदोलन के संयोजक और संघर्ष समिति के संरक्षक व सलाहकार राघवेन्द्र सिंह ने की।
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धरने के दौरान अस्थायी सफाई कर्मचारियों ने नगर निगम प्रशासन और ठेकेदार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनकी प्रमुख शिकायत यह थी कि उन्हें मात्र 6-7 हजार रुपये की मामूली तनख्वाह में काम करने पर मजबूर किया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना था कि जब पहले किसी प्राइवेट कंपनी के तहत काम कर रहे थे, तब तनख्वाह इससे अधिक थी। लेकिन नए ठेकेदार ने वेतन में कटौती कर दी है, जिससे उनका जीवनयापन मुश्किल हो गया है।
संयोजक दीपक ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा—"हम पिछले 20 वर्षों से सफाई कार्य कर रहे हैं, लेकिन हर बार आंदोलन और हड़ताल के बाद ही तनख्वाह मिली। जो वेतन हमें मिलता भी है, वह इतना कम है कि घर चलाना तक मुश्किल हो जाता है। सरकार होमगार्ड्स को 27 हजार और संविदा कर्मचारियों को 22-23 हजार रुपये वेतन देती है, तो फिर हमें इतना कम वेतन क्यों?"
उन्होंने आगे मांग रखी कि सभी सफाई कर्मचारियों को भी संविदा पर रखा जाए और उचित वेतन दिया जाए।
संघर्ष समिति के संरक्षक और सलाहकार राघवेन्द्र सिंह ने इस मुद्दे पर बड़ा सवाल उठाया। उन्होंने कहा—"सफाई व्यवस्था में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। वर्षों से चला आ रहा यह गड़बड़झाला अब खुलकर सामने आ रहा है। इसकी पूरी जांच होनी चाहिए ताकि न सिर्फ सफाई कर्मचारियों को न्याय मिले, बल्कि शहर की जनता को भी गंदगी से राहत मिले।"
इस विरोध प्रदर्शन में आशा, सुनीता, बाला, गीता, वीरो, श्यामो, प्रदीप, विनोद, भोला, लक्ष्मीनारायण, पंकज, विपिन, बबलू, महेश, मुक्कन समेत सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष सफाई कर्मचारी शामिल हुए।
धरने के दौरान कर्मचारियों ने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज होगा।
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