बाड़मेर। राजस्थान के बाड़मेर जिले में सोमवार रात एक बार फिर आसमान से मौत बरसी, लेकिन इस बार किस्मत ने साथ दिया। उत्तरलाई एयरबेस के पास एक मिग-29 फाइटर प्लेन क्रैश हो गया। धमाके के साथ उठती आग की लपटों ने इस सन्नाटे को चीरते हुए लोगों के दिलों में खौफ पैदा कर दिया। लेकिन शुक्र है कि पायलट ने समय रहते इजेक्ट कर लिया और अपनी जान बचा ली।
यह हादसा लगभग 10 बजे हुआ, जब फाइटर प्लेन एक सुनसान इलाके में जाकर गिरा। पायलट की चतुराई ने बड़ा हादसा टाल दिया, लेकिन क्या यह चतुराई हर बार काम आएगी? बाड़मेर कलेक्टर निशांत जैन और एसपी नरेंद्र सिंह मीणा तुरंत मौके पर पहुंचे, पर सवाल वही है—आखिर कब तक? ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह कोई पहली बार नहीं है जब बाड़मेर में ऐसा हादसा हुआ हो। पिछले 11 सालों में यह नौवां हादसा है। हर बार पायलट सुरक्षित रहा, पर क्या यह सिलसिला कभी थमेगा? 2013 से 2024 तक, मिग-21 से मिग-29 तक, हादसे होते रहे और जांच के आदेश दिए जाते रहे।
**पर क्या हर जांच के बाद कोई बदलाव हुआ?** यह एक ऐसा सवाल है जो हर बार इस तरह की घटनाओं के बाद उठता है, लेकिन जवाब अब भी अधूरा है। क्या यह घटनाएं सिर्फ संयोग हैं या फिर इसमें कुछ और भी है जो हमारी नजरों से छुपा हुआ है?
हर बार पायलट की सूझबूझ पर सलाम है, लेकिन क्या हम बस इतनी ही उम्मीद करते रहेंगे? या फिर कोई ठोस कदम उठाने का समय आ गया है? हादसे के बाद की जांच और उसके बाद की खामोशी, क्या इस चुप्पी को अब टूटने की जरूरत नहीं है?
शायद, इस सवाल का जवाब हमें आने वाले वक्त में मिलेगा, या फिर यह भी एक अनसुलझा रहस्य बनकर रह जाएगा।
बाड़मेर की आसमान की त्रासदी : मिग प्लेनों के बार-बार होते हादसे
बाड़मेर, जो अपने सुनसान इलाकों और विशाल आकाश के लिए जाना जाता है, अब अपने आसमान की त्रासदियों के लिए भी चर्चित हो रहा है। उत्तरलाई एयरबेस के पास मिग-29 के हालिया क्रैश ने इस पायोनियरिंग विमान दुर्घटनाओं की सूची में एक और नाम जोड़ दिया है।
12 फरवरी 2013 : उत्तरलाई से महज 7 किमी दूर अनाणियों की ढाणी कुड़ला के पास मिग-21 का एक हादसा, लेकिन पायलट की सूझबूझ ने एक और त्रासदी को टाल दिया।
7 जून 2013 : उत्तरलाई से 40 किमी दूर सोडियार में मिग-21 का एक और हादसा, पायलट सुरक्षित रहा। क्या यह महज एक संयोग था, या फिर कुछ और?
15 जुलाई 2013 : उत्तरलाई से 4 किमी दूर बांदरा में मिग-27 क्रैश, पायलट को सुरक्षित निकाल लिया गया। हर बार यही सवाल—क्यों बार-बार एक ही जगह पर यह घटनाएं हो रही हैं?
27 जनवरी 2015 : बाड़मेर के शिवकर रोड पर मिग-21 का एक और हादसा। हालांकि पायलट सुरक्षित था, लेकिन यह घटनाएं रोकने के उपाय क्या हैं?
10 सितंबर 2016 : मालियों की ढाणी में मिग-21 का हादसा, पायलट ने जान बचाई। लेकिन इस बार एक और सवाल उठता है—क्या सुरक्षा उपायों में कोई कमी है?
15 मार्च 2017 : शिवकर के पास सुखोई-30 क्रैश हुआ। हर बार पायलट सुरक्षित होता है, पर क्या हम इस चक्रव्यूह को समझने की कोशिश कर रहे हैं?
25 अगस्त 2021 : मातासर भुरटिया में मिग-21 बाइसन का क्रैश, पायलट ने बचकर निकलने में सफलता पाई। फिर भी, यह सिलसिला क्यों थम नहीं रहा?
28 जुलाई 2022 : भीमड़ा गांव में मिग-21 बाइसन का हादसा, इस बार भी पायलट को सुरक्षित निकाला गया। पर इस बार के हादसे से कोई सबक मिला क्या?
2 सितंबर 2024 : मानानियों की ढाणी में मिग-29 का क्रैश, लेकिन पायलट की समय पर इजेक्ट करने की चतुराई ने जान बचा ली। सवाल यही है—क्या बार-बार होते इन हादसों का कोई हल निकला है?
इन हादसों की कड़ी, जो हमेशा पायलट की सूझबूझ और किस्मत के सहारे समाप्त हो जाती है, अब एक बड़ा प्रश्न खड़ा करती है—क्या हमें इनकी निरंतरता के कारणों की गंभीरता से जांच नहीं करनी चाहिए? क्या हम इन त्रासदियों को केवल एक संयोग मानकर चलेंगे, या फिर इस सिलसिले को समाप्त करने के ठोस कदम उठाएंगे?
जस्टिन ट्रूडो: भारत विरोधी रुख अपनाकर डगमगाता राजनीतिक करियर संभालने की कोशिश
महाराष्ट्र-झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज
पीएम मोदी ने किया इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 का उद्घाटन, 190 से ज्यादा देश ले रहे हिस्सा
Daily Horoscope