हनुमान अशोक वाटिका में
पहुंचते है। जहां रावण भी आ जाता है तथा सीता को धमका कर एक माह की मोहल्लत
देता है। रावण के जाने के बाद सीता विचलित हो जाती है। तथा त्रिजटा नामक
राक्षसी को आत्महत्या करने के लिये लकडिया लाकर देने को कहती है। त्रिजटा
सीता को स्वप्न सुनाते हुए कहती है कि माता आप धीरज रखीए, श्रीराम शीघ्र ही
आयेंगे तथा राक्षस जाति का सर्वनाश करके आपका संताप्त हरेंगे। इसी बीच
हनुमान पेड की ओट से श्रीराम की मुद्रिका सीता की गोद में डालते है। जिसे
देखकर वह अचम्भित हो जाती है। हनुमान सामने आते है तथा नर वानर मित्रता का
सारा वृतांत सीता को सुनाकर दिलासा देते हैं। ये भी पढ़ें - इस कुण्ड में नहाने से भागते हैं भूत!
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