बांसवाड़ा। धर्मनगरी तलवाड़ा में त्रिपुरा सुंदरी मार्ग पर स्थित श्री द्वारिकाधीश गौधाम वृंदावन परिसर में श्रावण मास विशेष पार्थेश्वर शिवलिंग चिंतामणि पूजन- नवग्रह यंत्र पूजन एवं रुद्राभिषेक किया जा रहा है। इसके तहत शुक्रवार को वासुदेव, कमला देवी त्रिवेदी ने सपरिवार धर्मलाभ लिया।
श्री द्वारिकाधीश गौधाम वृंदावन परिसर में पार्थेश्वर चिंतामणि पूजन प्रारंभ होने के अवसर पर संत रघुवीरदास महाराज ने श्रावण मास में पार्थेश्वर शिवलिंग के पूजन पर महत्व बताते हुए कहा था कि- पार्थेश्वर चिंतामणि प्रयोग हमारे सनातन धर्म का विशेष अनुष्ठान माना जाता है, जैसे पांच तत्वों से मिलकर हमारा शरीर बना है, उन पांच तत्वों से भगवान शंकर की उपासना करना, यही पार्थेश्वर चिंतामणि प्रयोग है। इसमें मिट्टी के शिवलिंग, जिसमें मिट्टी में सुगंधित द्रव्य चंदन इत्र आदि मिलाकर शिवलिंग की आकृति प्रदान करते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सतयुग में रत्न के शिवलिंग की पूजा होती थी, जैसे हीरा माणिक्य मोती आदि के शिवलिंग, उसके बाद त्रेता युग आया तो त्रेता युग में स्वर्ण शिवलिंग की महिमा कही गई और इसी तरह द्वापर युग में पारद के शिवलिंग की पूजा की जाती थी, परंतु कलयुग में पार्थेश्वर शिव पूजा से सभी प्रकार के शिवलिंगों की पूजा मानी जाती है।
एक पार्थेश्वर शिवलिंग निर्माण कर उसकी पूजा करने से द्वादश ज्योतिलिंग पर रुद्राभिषेक करने का फल प्राप्त होता है।
यह अनुष्ठान सभी प्रकार के संकट, रोगों का नाश करने वाला तथा तुष्टि पुष्टि आयु आदि की वृद्धि करने वाला है। पूरे श्रावण महीने में हो रहे इस अनुष्ठान में नित्य एक से दो घंटा प्रतिदिन भक्ति भावना और उत्साह के साथ गौधाम में उपस्थित होकर शिवलिंग निर्माण कर पूजा का लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
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