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विभाजन की पीड़ा को याद कर विधानसभा अध्यक्ष के छलके आंसू, उपस्थित बुजुर्ग भी रो पड़े

Remembering the pain of partition, the assembly speakers tears welled up, the elderly present also cried - Ajmer News in Hindi

अजमेर। देश की आजादी के समय विभाजन की विभीषिका, सिंध के लोगों का बड़ी संख्या में पलायन, अपना घर, जमीन, धन और सब कुछ छोड़ना, राह में लूटपाट, बलात्कार, सामूहिक हत्याएं और फिर एक नए शहर में शरणार्थी जैसा जीवन, जिन्दगी को फिर से शुरू करना, पाई-पाई को मोहताज होना, बिस्किट, कपड़े, सब्जी बेचना, ठेला लगाना, पढ़ना, पढ़ाना और न जाने कितने संघर्ष। यह तस्वीर है भारत के विभाजन की, जो तस्वीरों, प्रदर्शनी में फिर सामने आई। यह यादें अभी तक इतनी मार्मिक हैं कि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी भी खुद पर काबू नहीं रख पाए और बोलते-बोलते गला रूंध गया, आंखें छलक आई। उनके साथ कार्यक्रम में मौजूद बुजुर्ग भी रो पड़े। दिन विभाजन विभीषिका को याद करने का था और मौजूद हर शख्स के सामने पुरानी तस्वीरें उभर आईं। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर गुरूवार को राजकीय संग्रहालय, अजमेर में प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी में विभाजन के दौरान हुए अत्याचार और इसका मुकाबला करती जिजीविषा को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए देवनानी ने कहा कि विभाजन भौगोलिक भाग पर नहीं होकर संस्कृति और सामाजिक आत्मा का हुआ था। उस समय बंगाल, पंजाब तथा सिंध प्रान्त विभाजन से सर्वाधिक प्रभावित हुए थे। बंगाल और पंजाब का कुछ भाग भारत में रहा। सिंध तो पूरा ही अलग हो गया। यह विभाजन भौगोलिक सीमाओं से आगे बढ़कर सांस्कृतिक और सामाजिक आत्मा का हुआ था। तत्कालीन नेताओं ने नेतृत्व प्राप्ति की चाह से विभाजन कराया। इसके लिए दोषी व्यक्तियों को समाज को हमेशा याद रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने इतिहास को भूलने वाली संस्कृति नष्ट हो जाती है। इतिहास नई पीढ़ी लिए मार्ग निर्धारक होता है। विभाजन की पीड़ा को भी नई पीढ़ी को बताया जाना आवश्यक है। तभी उन्हें अहसास होगा कि आज की पीढ़ी की उपलब्धि पुरानी पीढ़ी के पुरूषार्थ का फल है। उस पीढ़ी ने सनातन की रक्षा के लिए भारत का चुनाव किया गया था। उन्होंने अत्याचार सहे। हिन्दुओं की लाशों से भरी हुई रेलें भेजी गई।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने की परम्परा आरम्भ की। यह उस समय मारे गए व्यक्तियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। अखण्ड भारत अवश्य बनेगा। राष्ट्रगान में गाए जाने वाले शब्द हमें इसके लिए प्रेरणा देते रहेंगे।
देवनानी ने कहा कि राजकीय संग्रहालय में भारत विभाजन की गैलेरी निर्मित की जाएगी। इससे आगन्तुकों को उस समय हुए अत्याचारों की जानकारी मिलेगी। संग्रहालय के लिए राज्य सरकार के द्वारा 5 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसकी स्वीकृति जारी हो चुकी है। इसका निर्माण कार्य शीघ्र ही आरम्भ होगा। इसके लिए व्यक्ति सुझाव भी दे सकते हैं।
देवनानी ने कहा कि सिन्ध में अपना घर, दुकान, जमीन, धन और पूरी संस्कृति को छोड़ कर जब हम नए शहरों में बसे तो हमारे पास कुछ नहीं था। हम जमींदार से शरणार्थी बन गए थे। लेकिन हमने हार नहीं मानी। सिंधी पुरूषार्थी कौम है, हमने काम किया और तरक्की की। आज देश की अर्थव्यवस्था में सिंधी समाज का बड़ा योगदान है। हम सर्वाधिक इनकम टैक्स देने वाले समाज से हैं। हमने सदैव राष्ट्र को प्रथम मानकर काम किया है। सनातन की रक्षा के लिए हम सदा काम करते रहेंगे।
रमेश सोनी ने कहा कि सिन्धी समाज ने विभाजन की वेदना को भोगा है। उस समय के नेताओं ने नक्शे के टुकड़े नहीं किए, सिंध की सभ्यता पर प्रतिघात किया। जीवन रक्षा के लिए जन्म स्थान और सभ्यता छोड़नी पड़ी। लाखों व्यक्ति मारे गए। पुरूषार्थी व्यक्ति अर्श से फर्श पर आ गए। उस हदय विदारक दृश्य से नई पीढ़ी को भी रूबरू करवाया जाना चाहिए।
विरम देव सिंह ने कहा कि भारत का विभाजन करने से लाखों जानें गई। उस समय के नेताओं का स्वार्थ इसके लिए जिम्मेदार है, नरसंहार हुआ। वर्तमान राष्ट्रवादी सरकारें विभाजन विभीषिका दिवस के माध्यम से नई पीढ़ी को उस समय के अत्याचारों को बता रही हैं। मनरेगा लोकपाल सुरेश सिन्धी ने कहा कि भारत का विभाजन दुर्भाग्यपूर्ण था। जमींदार और सेठ अगले दिन गुब्बारे बेच रहे थे।
कार्यक्रम में उस समय की विभीषिका के गवाह रहे व्यक्तियों का सम्मान किया गया।
विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने विभाजन के बाद संघर्ष के दिनों को याद किया। उन्होंने कहा कि माता-पिता विभाजन के बाद अजमेर आए तो परिवार के पास कुछ नहीं था। यहां छोटे-मोटे काम कर स्वयं को स्थापित किया। उन्होंने बताया कि कैसे एक पैसे में बिस्किट बेचे, दो पैसे में चवले बेचे, किस तरह पढ़े, सुभाष उद्यान की लाइट के नीचे बैठ कर बोर्ड परीक्षा की तैयारी की। किस तरह जीवन संघर्षों से हार नहीं मानी। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को अपने बुजुर्गों के संघर्ष को याद रख उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष को पृथ्वीराज फाउंडेशन की ओर से दीपक शर्मा ने तारागढ़ व आनासागर को दर्शाते हुए फोटो भेंट की। इस अवसर पर संजय कुमार सेठी, ऋषिराज सिंह, कुसुम शर्मा, ऋषभ प्रताप सिंह आदि उपस्थित रहे।

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