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अब डुप्लीकेट मार्कशीट के लिए नहीं लगाने पड़ेंगे यूनिवर्सिटी के चक्कर : MDSU अजमेर की डिजिटल पहल से 6 जिलों के हजारों छात्रों को राहत

Now you will not have to visit the university for duplicate marksheet: Thousands of students from 6 districts get relief from MDSU Ajmer digital initiative - Ajmer News in Hindi

बिचौलियों से भी मिली निजात, अब दस्तावेज सीधे घर पर मिलेंगे, 1000 से अधिक छात्रों ने किया आवेदन अजमेर। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (MDSU) ने छात्रों की सहूलियत के लिए एक अहम और सराहनीय कदम उठाया है। यूनिवर्सिटी ने अब डुप्लीकेट मार्कशीट और माइग्रेशन सर्टिफिकेट की ऑनलाइन फीस जमा करने और दस्तावेज घर तक पहुंचाने की सुविधा शुरू कर दी है। इस फैसले का सीधा लाभ अजमेर सहित 6 जिलों के सैकड़ों कॉलेजों में पढ़ने वाले हजारों छात्रों को मिल रहा है। अब तक इस सुविधा के तहत 1000 से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। पढ़ाई पूरी, लेकिन मार्कशीट के लिए भटकना पड़ता थाराजस्थान के अजमेर, नागौर, टोंक, भीलवाड़ा, ब्यावर, कुचामन-डीडवाना जिलों में फैले एमडीएस यूनिवर्सिटी से संबद्ध 450 से अधिक कॉलेजों में 3 लाख से अधिक छात्र विभिन्न पाठ्यक्रमों (UG, PG, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट) में पंजीकृत हैं। हर वर्ष बड़ी संख्या में छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डुप्लीकेट मार्कशीट या माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए विश्वविद्यालय में चक्कर काटते थे।
ऑफलाइन प्रक्रिया के चलते न केवल छात्रों को लंबा सफर तय करना पड़ता था, बल्कि उन्हें अनावश्यक लाइन में लगना, फॉर्म भरना, बैंक चालान जमा करना और इंतजार करना भी पड़ता था। स्थिति इतनी खराब थी कि विश्वविद्यालय में तीन बजे के बाद कैश काउंटर बंद हो जाने से छात्रों को लौटना पड़ता था, खासकर दूरदराज़ से आने वाले विद्यार्थियों के लिए यह बेहद मुश्किल होता था।
बिचौलियों का बन गया था खेल
यही नहीं, छात्रों की इसी मजबूरी का फायदा उठाकर एक बिचौलिया गिरोह भी सक्रिय हो गया था। तीन बजे के बाद पहुंचे छात्रों से ये लोग अतिरिक्त राशि लेकर फर्जी या जल्दी दस्तावेज दिलाने का झांसा देने लगे थे। इससे न केवल छात्रों की जेब पर बोझ बढ़ा बल्कि विश्वविद्यालय की छवि भी धूमिल हुई।
अब सब कुछ ऑनलाइन: समय और पैसा दोनों की बचत
अब यूनिवर्सिटी ने इन सभी समस्याओं का डिजिटल समाधान निकालते हुए यह नई सुविधा शुरू की है। छात्र अब बिना यूनिवर्सिटी आए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, फीस भर सकते हैं और चाहें तो दस्तावेज अपने घर पर मंगवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें सिर्फ 40 रुपये पोस्टल चार्ज देना होगा। यानी ना तो यूनिवर्सिटी आने की जरूरत, ना ही लाइन में लगने की झंझट।
यदि किसी छात्र को दस्तावेज की तत्काल आवश्यकता है, तो वह विश्वविद्यालय आकर सम डे (Same Day) सेवा का भी विकल्प चुन सकता है। यह लचीलापन छात्रों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है।
अब ट्रांसक्रिप्ट सर्टिफिकेट भी ऑनलाइन मिलेगा
यूनिवर्सिटी के मुख्य परीक्षा नियंत्रक डॉ. सुनील टेलर ने बताया कि फिलहाल डुप्लीकेट मार्कशीट और माइग्रेशन सर्टिफिकेट की सबसे ज्यादा मांग है, और इन्हें ऑनलाइन तरीके से छात्रों तक पहुंचाया जा रहा है।
इसके साथ ही जल्द ही ट्रांसक्रिप्ट सर्टिफिकेट की ऑनलाइन सुविधा भी शुरू की जाएगी। ट्रांसक्रिप्ट एक विशेष प्रकार का प्रमाणपत्र होता है, जिसमें किसी डिग्री के तीनों वर्षों (जैसे BA फर्स्ट ईयर, सेकंड ईयर, थर्ड ईयर) का पूरा रिकॉर्ड एक ही दस्तावेज़ में होता है। ये दस्तावेज आमतौर पर विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में एडमिशन या नौकरी के लिए मांगे जाते हैं।
25 दिन में हजार से ज्यादा आवेदन
विश्वविद्यालय द्वारा शुरू की गई इस नई व्यवस्था को छात्रों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। महज 25 दिनों में 1000 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। यह संख्या आने वाले दिनों में और तेजी से बढ़ सकती है, खासकर उन छात्रों के बीच जिनके पास पुराने दस्तावेज गुम हो गए हैं या जिन्हें विदेशों में दाखिला लेना है।
छात्रों को मिली दोहरी राहत
इस पूरी प्रक्रिया से छात्रों को दोहरा लाभ मिला है। एक तो उन्हें फिजिकली यूनिवर्सिटी जाकर धक्के नहीं खाने पड़ रहे हैं, दूसरा, उन्हें अब किसी बिचौलिए या दलाल की मदद नहीं लेनी पड़ती। यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है, तकनीकी रूप से सुरक्षित है और छात्र की पहचान के साथ ही लिंक है।
क्या है आवेदन की प्रक्रिया?
छात्र एमडीएस यूनिवर्सिटी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर एक आसान प्रक्रिया के ज़रिए:
डुप्लीकेट मार्कशीट या माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर सकते हैं।
ऑनलाइन शुल्क जमा कर सकते हैं।
दस्तावेज को या तो स्वयं लेकर जा सकते हैं या डाक के माध्यम से घर मंगवा सकते हैं।
एडमिशन सीजन में बढ़ जाती है मांग
यूनिवर्सिटी प्रशासन के अनुसार, सामान्य दिनों में डुप्लीकेट दस्तावेज़ की मांग सीमित रहती है, लेकिन एडमिशन सीजन (जुलाई-अगस्त) में यह संख्या बढ़कर 5 हजार से भी ऊपर पहुंच जाती है। ऐसे समय में यह ऑनलाइन सुविधा और अधिक उपयोगी हो जाती है क्योंकि छात्रों को कम समय में प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है।
डिजिटल बदलाव की दिशा में बड़ा कदम
एमडीएस यूनिवर्सिटी की यह पहल डिजिटल गवर्नेंस और छात्र हितों की रक्षा के नजरिए से एक बड़ा कदम है। जहां एक ओर यह पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ाता है, वहीं छात्रों की मेहनत और पैसे की भी बचत करता है।
इसका सकारात्मक असर आने वाले वर्षों में और अधिक स्पष्ट होगा, जब अन्य विश्वविद्यालय भी इस मॉडल को अपनाकर छात्रों के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया को और सहज बनाएंगे।

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