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"राष्ट्रीयता और संस्कृति की नींव पर टिकेगी नई शिक्षा : भारत के बच्चों के लिए बदलाव की दिशा"

New education will be based on the foundation of nationalism and culture: Direction of change for the children of India - Ajmer News in Hindi

अजमेर। "आज के बच्चे पिज्जा और पास्ता के दीवाने हैं, लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि देश और संस्कृति का महत्व क्या है।" यह विचार अजमेर एमडीएस यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. कैलाश सोढानी ने प्रदेश में शिक्षा के बदलते स्वरूप और पाठ्यक्रम में सुधार की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए व्यक्त किए।


प्रदेश में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम जारी रहेगा, लेकिन कक्षा 1 से 5 के पाठ्यक्रम में व्यापक बदलाव और कक्षा 6 से 12 तक के पाठ्यक्रम में 15-20% संशोधन किया जाएगा। इन परिवर्तनों का उद्देश्य शिक्षा में राष्ट्रीय दृष्टिकोण और वर्तमान युग की चुनौतियों को समाहित करना है।

महापुरुषों और राष्ट्रीयता की शिक्षा पर जोर

कुलपति प्रो. सोढानी ने कहा, "हमारा डीएनए राष्ट्रीयता को लेकर कमजोर हो गया है। बच्चों को यह समझाना होगा कि वे भारत माता के सपूत हैं। उन्हें महापुरुषों के विचारों और बलिदानों से परिचित कराना आवश्यक है। यही वह नींव है, जो उनकी सोच को देश की सेवा और विकास की ओर मोड़ेगी।"

नई शिक्षा नीति को इस दृष्टिकोण से तैयार किया जा रहा है कि बच्चों को **पुरातन भारतीय संस्कृति और आधुनिक वैश्विक सोच** का मेल सिखाया जाए। इसके जरिए न केवल बच्चों का व्यक्तिगत विकास होगा बल्कि वे देश को भी आगे बढ़ाने में सक्षम बनेंगे।

विदेश जाने की प्रवृत्ति पर चिंता


कुलपति ने यह भी उजागर किया कि भारत में श्रेष्ठ शिक्षा प्राप्त करने के बाद 60% बच्चे विदेशों में बस जाते हैं। उन्होंने कहा, "ये बच्चे जर्मनी और जापान का विकास कर रहे हैं, भारत का नहीं। उन्हें मानसिक रूप से तैयार करना होगा कि वे अपने देश की सेवा में योगदान दें।"

इसके अलावा, बच्चों की खानपान की आदतों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि **मल्टीनेशनल कंपनियां न केवल पैसे बल्कि स्वास्थ्य भी बिगाड़ रही हैं।** बच्चों को इस बारे में जागरूक करना आवश्यक है कि स्वस्थ जीवनशैली और स्वदेशी सोच कैसे अपनाई जाए।


पाठ्यक्रम में बदलाव की प्रक्रिया

नए सत्र से पाठ्यक्रम में बदलाव की योजना के तहत, पाठ्यक्रम समीक्षा समिति ने अपनी प्रक्रिया तेज कर दी है। 9 विद्वानों की इस समिति को 10 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट अगले महीने सरकार को सौंपी जाएगी।

प्रो. सोढानी ने स्पष्ट किया कि कक्षा 1 से 5 तक के कोर्स में बड़े बदलाव की संभावना है, जबकि 6 से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में केवल सीमित संशोधन किए जा सकते हैं। उन्होंने एनसीईआरटी की किताबों को "विद्वानों द्वारा तैयार उत्कृष्ट सामग्री" बताया।

नई दिशा की ओर कदम

शिक्षा के क्षेत्र में यह बदलाव भारत को नई दिशा देने का प्रयास है। एक ऐसा प्रयास, जो न केवल बच्चों को **राष्ट्रीयता, संस्कृति और स्वाभिमान** से जोड़ेगा, बल्कि उन्हें आधुनिक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करेगा। **नई शिक्षा नीति** के तहत यह परिवर्तन भारत की अगली पीढ़ी के लिए एक मजबूत नींव रखने की ओर कदम है।

"शिक्षा का लक्ष्य सिर्फ ज्ञान नहीं, बल्कि संस्कार और सेवा है।"


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Web Title-New education will be based on the foundation of nationalism and culture: Direction of change for the children of India
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