अजमेर। शहर की बिजली व्यवस्था को निजीकरण कर टाटा पॉवर में दिए जाने के बाद प्रबंध निदेशक द्वारा तुगलकी फरमान जारी कर 170 अल्पवेतन भोगी कर्मचारियों को जिले से बाहर लगाने के विरोध में मंगलवार को सैकड़ों कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया।
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कर्मचारियों का कहना है कि उनके द्वारा किया जा रहा धरना-प्रदर्शन चार दिन से जारी है। उनका कहना है कि जिले के अधीन करीब 390 पद रिक्त होने के बावजूद प्रबंध निदेशक ने कर्मचारियों को उदयपुर, भीलवाड़ा, नागौर, राजसमंद, सीकर में लगा दिया। इसके विरोध में मंगलवार को कर्मचारी प्रबंध निदेशक महिराम विश्नोई के पुतले को चूडिय़ों और जूतों की माला पहनाकर हाथीभाटा से आगरा गेट होकर गांधी भवन चौराहा, मदार गेट, रेलवे स्टेशन चौराहा होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। इस दौरान कर्मचारियों ने जगह-जगह मानव श्रंखला बनाकर भी प्रदर्शन किया।
कर्मचारियों ने कलेक्ट्रेट पहुंच कर प्रबंध निदेशक का पुतला फूंका और जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर जिला बदर किए गए कर्मचारियों को जिले अधीन लगाने की मांग की।
इस दौरान संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक हेमंत चोरसिया ने बताया कि उन्होंने ज्ञापन में प्रबंध निदेशक को हटाने की मांग करते हुए कहा है कि जबसे प्रबंध निदेशक ने पद संभाला है, तब से कर्मचारी विरोधी व जन विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। इस कारण निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है। विरोध प्रदर्शन के बाद भी निगम प्रशासन की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं हुई और न ही संयुक्त संघर्ष समिति को वार्ता के लिए बुलाया गया। इस कारण कर्मचारियों में भारी रोष है। जब तक जिला बदर कर्मचारियों को पुन: जिले के अधीन उपखंडों में रिक्त पदों पर नहीं लगाया जाएगा, तब तक अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा।
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