अजमेर। ब्यावर में 3 मार्च को बादशाह मेला का आयोजन उत्साह व उमंग के साथ किया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कौमी एकता का प्रतीक है बादशाह मेला
ब्यावर में धुलंडी के दूसरे दिन बादशाह मेला मनाया जाता है। अकबर बादशाह के नवरत्न में से एक टोडरमल अग्रवाल को ढाई दिन की बादशाहत
मिलने की याद ताजा करने के उद्देश्य से धुलण्डी के दूसरे दिन अग्रवाल समाज
की ओर से प्रशासन व जनसहयोग से प्रतिवर्ष बादशाह का मेला आयोजित किया जाता
है। यह मेला कौमी एकता का प्रतीक है। यह मेला ब्यावर को पर्यटन के मानचित्र पर भी विशेष स्थान दिलाता है। सन् 1851 से प्रारम्भ यह मेला सभी समुदाय के लोगों का एक ऐसा पर्व है, जिसमें बादशाह को सजाने संवारने का कार्य माहेश्वरी समाज के लोग करते हैं। ठंडाई बनाने का कार्य जैन समाज के निर्देशन में होता है। इसका वितरण नगर के प्रमुख बाजारों में प्रसाद के रूप में किया जाता है।
खर्ची लूटने की मचती है होड़
बादशाह मेले के दौरान 'बादशाह खर्ची' लूटने की होड़ मचती है। खर्ची में ट्रक में सवार बादशाह गुलाल लुटाते हैं। इस गुलाला को लोग सोने की अशर्फियों की तरह लूटते हैं। मान्यता है कि यह गुलाल तिजोरी व गल्ले में रखने से कारोबार में वृद्धि होती है और खजाना कभी खाली नहीं होता।
3 मार्च को आयोजित होने वाले बादशाह मेले के दौरान सुरक्षा, पेयजल, रोशनी, विद्युत आैर साफ-सफाई व्यवस्था के खास इंतजाम किए गए हैं।
प्रशासन
की ओर से बादशाह मेला के दौरान नागरिकों और
मेलार्थियों द्वारा घटिया, मिलावटी अथवा कंकर-पत्थर युक्त या अन्य रंग की
गुलाल का इस्तेमाल आैर विक्रय नहीं करने की अपील की गई है। मेले के दौरान
महिलाओं पर गुलाल डालने और गुलाल की पुडिय़ा बांधकर फेंकने पर पाबंदी
रहेगी।
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