अजमेर। सुप्रीम कोर्ट में तत्कालीन नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के एकल पट्टा घोटाला की गूंज शांत नहीं हुई कि CTP मुकेश मित्तल ने अजमेर के विजय नगर में 9 एकल पट्टे के आदेश जारी कर दिए। बाद में इन आदेशों रद्द करने से वे अब विवादों में बुरी तरह से घिर गए हैं। वैसे ये काफी बोल्ड हैं पूछने पर इनका रटा रटाया जवाब होता है, अरे मेरा इससे क्या लेना देना है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि मितल ने राजस्व ग्राम, बरल-II, विजय नगर अजमेर में बिना भू उपयोग परिवर्तन के 9 मिश्रित उपयोग के पट्टों पर कई अनुमती दे डाली और हद तो तब हुई जब समान खसरा नंबरों पर अलग अलग 9 एकल पट्टा जारी कर डाले। बाद में जब हल्ला मचा तो उन्हें स्थानीय पार्षद राजेंद्र गुर्जर की एक शिकायत और तकनीकी राय को आधार बनाकर रद्द कर दिया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
क्या मुकेश मित्तल पर भी धारीवाल के समान केस होगाः
आरोप है कि प्रकरण में 1 अगस्त, 2024 को मित्तल ने कूट रचित तरीके से राजस्व ग्राम बरल-II म्युनिसिपलटी विजयनगर के विभिन्न खसरा नंबरों (2207/1402, 1400, 1408, 2217/1407, 1399, 1398, 1397, 2205/1401, 1392, 1393, 1394 और 1394) की 21443 वर्ग मीटर भूमि में खसरा नंबर 1400, 1397, 2205/1401, 1394 को बिना तकासमा अपने स्तर पर ही सब डिवाइड कर एकल पट्टा जारी करने के आदेश जारी कर डाले। प्रकरण में भारी लेन देन होने की शिकायत हुईं तो 17 सितंबर, 2024 को मितल ने अपनी गलती मानकर, सभी 9 पट्टों के आदेशों को रद्द कर दिया।
खुलेआम उड़ाई जा रहीं नियमों की धज्जियाँः
प्रकरण में मास्टर प्लान में पर्यटन क्षेत्र के उपयोग पर मिश्रित भूमि के उपयोग करने के लिए पट्टे जारी कर दिए गए। एक ही खातेदार की भूमि को बिना तकासामा विभाजित कर कुल 9 पट्टों के आदेश देकर उप विभाजन शुल्क माफ़ होने से राजस्व को नुकसान पहुचा डाला, तो धारीवाल एकल पट्टा से ये अलग कैसे हो सकता है।
मितल पर पहले भी लग चुके आरोप, बैठ चुकी जांचः
आरोप है कि मित्तल ने बिल्डिंग बाइलॉज की बुक जारी कर उसमें बिल्डरों और अन्य लोगों से लाखों रुपए के इश्तहार लिए थे। इसकी जांच डीओपी ने की। जब तत्कालीन सेक्रेटरी ने जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने पर बरी करने से मना किया तो उनके छुट्टी जाने के बाद चार्ज अधिकारी ने इनको बरी कर दिया। इससे क्या यह माना जाए कि अब राज्य सरकार का अधिकारी अगर पद पर रहकर स्वयं या वाइफ के नाम ठेके के काम या आमदनी लेता है तो वह दोषी नहीं माना जाएगा।
अब भीलवाड़ा मेंं बड़ा खेल करने की तैयारीः
मितल ने हाल ही में भीलवाड़ा मास्टर प्लान में वाटरबॉडी और ग्रीनबेल्ट में औद्योगिक उपयोग की मंजूरी राज्य स्तरीय समिति से दिलवा डाली जिसमें मंत्री को जानकारी ही नहीं थी, अब उसके निरस्तीकरण की कार्यवाही शुरू हो चुकी हैं। क्या मितल द्वारा किए खुले उल्लंघन पर मुख्यमंत्री या मंत्री कार्यालय से कोई कारवाई होगी। वैसे मित्तल के मुख्यमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों से काफी घनिष्ट सम्बंध बताए जा रहे हैं, जिसे दुबई विजिट से भी जोड़ा जा रहा है।
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