अजमेर। केंद्र सरकार पर ईडी-सीबीआई का दुरुपयोग लगाने वाली सरकार राजस्थान में क्या कर रही है? यह सवाल है, जिसका जवाब यह घटना है जो आप पढ़ेंगे। राजस्थान सरकार ने कोटा रिवर फ्रंट व अजमेर आना सागर के पर्यावरण उल्लंघन के मामलों को एनजीटी में उठाने वाले एक्टिविस्ट को परिवार सहित जेल में पहुंचा दिया है।
इस मामले को उठाने के मामले में गिरफ्तार पूर्व पार्षद अशोक मलिक और उसके पुत्र द्रुपद की जमानत अर्जी पर अदालत मैं गुरुवार को सुनवाई नहीं हो सकी। मलिक ने वकील के जरिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर सिविल लाइन थाना प्रभारी सुरेन्द्र सिंह पर जानबूझकर कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने का आरोप लगाया है। पिता-पुत्र आईटी एक्ट की धारा के तहत गिरफ्तार किए गए थे। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या दो की अदालत गुरुवार को अभियुक्तों की जमानत के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया था। दरअसल नगर निगम आयुक्त सुशील कुमार का फोन हैक कर कलेक्टर और अधिकारियों को फोन कॉल करने के मामले में दोनों पिता पुत्र को गिरफ्तार किया थ्ज्ञा।जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष अलग से प्रार्थना पत्र पेश किया गया, जिस पर न्यायाधीश ने उक्त प्रार्थना पत्र पर गुरुवार को ही सुनवाई के आदेश जारी किए और लोक अभियोजक के जरिए सिविल लाइन थाना प्रभारी सुरेन्द्र सिंह को केस डायरी त्वरित कोर्ट के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए गए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
लोक अभियोजक की ओर से बार-बार थाना प्रभारी को न्यायाधीश के आदेश का हवाला देते हुए केस डायरी पेश करने को कहा, लेकिन शाम साढ़े चार बजे तक पुलिस ने केस डायरी पेश नहीं की। अभियुक्त मलिक ने आरोप लगाया है कि द्वेष भावना से प्रेरित होकर मामले की केस डायरी थाना प्रभारी ने पेश नहीं कर रहे हैं। केस डायरी के अभाव में जमानत अर्जी पर सुनवाई नहीं हो सकी।
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