जयपुर। कांग्रेस सरकार में अजमेर की आनासागर झील पर नियम विरुद्ध बनाए गए सेवन वंडर्स को तुड़वाने के एनजीटी से आदेश कराने औऱ कोटा रिवर फ्रंट को एनजीटी में चुनौती देने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक मलिक और उनके पुत्र द्रुपद मलिक को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है।
इन दोनों पिता-पुत्र को अजमेर नगर निगम के कमिश्नर सुशील कुमार की एक शिकायत पर सरकार ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। निगम कमिश्नर सुशील कुमार का आरोप था कि इन्होंने जून में उनका फोन हैक करके उच्चाधिकारियों को उनके नाम से फोन किए औऱ उनसे अभद्रता की थी। सुशील कुमार ने करीब 2 महीने बाद पुलिस में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बचाव पक्ष के एडवोकेट के मुताबिक जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकारी पक्ष से पूछा कि फोन से किसी को धमकी दी। कोई काम करवाया क्या। हो सकता है नगर निगम आयुक्त जनता के काम नहीं कर रहा हो तो कमिश्नर बनकर फोन करना पड़ा हो। फोन से धमकाकर कोई काम करवा ले, यह आज के समय में संभव नहीं लगता है। सरकारी पक्ष इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की जमानत याचिका स्वीकार कर ली।
इधर, पीड़ित पूर्व पार्षद औऱ आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक मलिक और द्रुपद मलिक का आरोप है कि आनासागर झील पर बनाए गए सेवन वंडर्स को तोड़ने के एनजीटी के आदेश से नगर निगम आयुक्त सुशील कुमार और जिला प्रशासन के कुछ अधिकारी उनसे रंजिश पाले हुए हैं। सुशील कुमार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के भी प्रभारी अधिकारी हैं। इसलिए इन्होंने पहले तो उन्हें प्रलोभन देने के प्रयास किए। जब वे उनके प्रलोभन में नहीं आए तो झूठे केस लगाकर उन्हें फंसाया जा रहा है। अफसरों के स्तर पर उनके खिलाफ तरह-तरह के षडयंत्र रचे जा रहे हैं।
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