मुख्यमंत्री जो स्वयं पूर्व फौजी हैं, ने कहा कि सेना जाति, धर्म
और राजनैतिक विचारधाराओंं जैसी तंग विचारों से पर होती है और यदि भारत ने
प्रभुसत्ता सम्पन्न देश रहना है तो सेना का मौजूदा स्वरूप बरकरार रखना भी
ज़रूरी है। उन्होंने सीमा पर नाजुक स्थिति के मौके पर सेना को जैसे चाहे
उसी तरह निपटने के लिए छुट देने की जोरदार वकालत की।
कैप्टन
अमरिन्दर सिंह ने कहा कि सेना के कामकाज में किसी भी तरह की राजनैतिक दखल
अन्दाज़ी सुरक्षा और देशऔर यहां के लोगों के लिए बहुत घातक है। मुख्यमंत्री
ने रक्षा सेनाओं पर राजनैतिक नियंत्रण देश और इसके भविष्य के लिए उतना ही
घातक हो सकता है, जितना राजनीति में सेना के दखल से हो सकता है। उन्होंने
राजनैतिक पार्टियों को यह गलती न करने चेतावनी दी क्योंकि ऐसी भूल ने कई
देशों को संकट में डाला है। उन्होंने सचेत करते हुये कहा कि सेना हमारे देश
की अहम संस्था है और उनके अथॉरटी को किसी तरह का नुकसान पहुंचने से हमारे
लोगों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।
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