चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी की ओर से बिजली मंत्री पर लगाए गए आरोपों के बाद पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के वकील एचसी अरोड़ा ने पंजाब के मुख्य सचिव को एक डिमांड नोटिस भेजा है। इसमें उन्होंने पंजाब सरकार से राणा गुरजीत सिंह को तुरंत बिजली मंत्री के पद से हटाने की मांग की है। नोटिस में उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर 10 दिन में सरकार ने कदम नहीं उठाया तो इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाया जाएगा।
मुख्य सचिव को भेजे डिमांड नोटिस में एडवोकेट अरोड़ा ने कहा है कि राणा गुरजीत सिंह को बिजली मंत्री बनाने से उनका पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) पर पूरा नियंत्रण हो गया है, जबकि राणा गुरजीत स्वयं राणा ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के सह-संस्थापक हैं। नोटिस में कहा गया है कि इस कंपनी को राणा गुरजीत सिंह के परिवार द्वारा चलाया जा रहा है। राणा शुगर्स लिमिटेड कंपनी बिजली भी बनाती है और उसे पीएसपीसीएल को बेचती है। एडवोकेट अरोड़ा ने इस संदर्भ में नोटिस के साथ कुछ दस्तावेज भी मुख्य सचिव को भेजे हैं।
नोटिस में आगे कहा गया है कि अमृतसर जिले की तहसील बाबा बकाला के गांव बुट्टर सेवियां स्थित मेसर्स शुगर्स लिमिटेड और पीएसपीसीएल के बीच बिजली खरीद को लेकर 4 दिसंबर, 2012 को समझौता हुआ था। इसके तहत बिजली निर्माता कंपनी (मेसर्स राणा शुगर्स लिमिटेड) 34 मेगावाट का पावर प्लांट लगाएगी और पीएसपीसीएल को 20 मेगावाट तक अपनी सरप्लस बिजली बेचेगी। पीएसपीसीएल ने इस समझौते को स्वीकार किया है। यह समझौता 20 साल के लिए है और इसे 10 साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है।
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