चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शराब के व्यापार में एकाधिकार ख़त्म करने और सरकारी खजाने में राजस्व की बढ़ोतरी करने के लिए आबकारी विभाग को शराब के वितरण के लिए थोक शराब निगम (होल सेल लीकर निगम) स्थापित करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए निर्देश दिए हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह फ़ैसला वित्त संबंधी कैबिनेट सब-कमेटी की पहली बैठक के दौरान लिया गया जोकि सूबे की वित्तीय स्थिति में नकदी की कमी का नियमित तौर पर समीक्षा लेने के लिए गठित की गई थी। इस समिति के प्रमुख स्वयं कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा और वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल इसके सदस्य हैं। इस सब -कमेटी को खर्च को घटाने और स्रोतों को जुटाने के लिए संभावनाओं का पता लगाने के लिए कहा गया था।
सब-कमेटी की पहली मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने शराब के व्यापार में सरकारी दख़ल की संभावनाओं का पता लगाने के लिए आबकारी विभाग को कहा है जिसपर इस समय प्राईवेट लोगों का पूरी तरह कब्ज़ा है। उन्होंने शराब के थोक वितरण के लिए निगम बनाने के लिए रूप रेखा तैयार करने के लिए विभाग को कहा है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इससे पहले विभाग ने सब-कमेटी के आगे एक प्रस्तुति पेश की और शराब के व्यापार की मौजूदा स्थिति संबंधी वर्णन किया। इसके दौरान विभाग ने हरियाणा, राजस्थान, तामिलनाडु और केरला सहित अन्य राज्यों द्वारा अपनाये जा रहे मॉडल संबंधी भी जानकारी दी।
प्रवक्ता के अनुसार सब-कमेटी ने शराब संबंधी मौजूदा एक वर्ष की नीति के बदले बहुवर्षीय शराब नीति अपनाने संबंधी भी विचार विमर्श किया और इसने आबकारी विभाग को इस संबंधी विस्तृत प्रस्ताव पेश करने के निर्देश भी जारी किए।
मुख्यमंत्री ने कर एवं आबकारी विभाग के पुनर्गठन के लिए एक प्रस्ताव की भी मांग की जिससे व्यापारिक करों के प्रशासकीय कार्य पर ध्यान केंद्रित किया जा सके और इसमें बढिय़ा प्रौद्यौगिकी और विशेषज्ञता पहुंच को अमल में लाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सूबे के लिए राजस्व जुटाने के लिए नवीनतम रास्ते तलाशने के लिए विभिन्न विभागों को आगे आना चाहिए, क्योंकि गत अकाली-भाजपा सरकार से मौजूदा सरकार को 2,08,000 करोड़ रुपए के कर्ज का बोझ विरासत में मिला है। आबकारी विभाग को कहा गया है कि वह आगामी 3 वर्षो में राजस्व जुटाने के लक्ष्य में महत्वपूर्ण विस्तार करे।
इस समय वित्तीय घाटा 34,000 करोड़ रुपए और राजस्व घाटा 13,000 करोड़ रुपए है जिसके कारण सूबे की कांग्रेस सरकार गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है और यह वित्तीय संकट से निपटने के लिए कड़े प्रयास कर रही है।
इस अवसर पर उपस्थित अन्य व्यक्तियों में स्वास्थय एवं परिवार कल्याण मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा, वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, पंजाब प्रशासकीय सुधार के चेयरमैन के.आर. लखनपाल, वित्तीय स्रोतों संबंधी सलाहकार वी.के. गर्ग, मुख्य सचिव करन अवतार सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव कर व आबकारी एम.पी. सिंह, प्रमुख सचिव वित्त अनिरुद्ध तिवाड़ी और कर एवं आबकारी कमिशनर विवेक प्रताप सिंह शामिल थे।
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