चंडीगढ़।
एसएफएस की अगुआई में वीसी ऑफिस पर स्टूडेंट्स और पुलिस के बीच हुई हिंसक
झड़प के बाद निर्दोष स्टूडेंट्स के बचाव में राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर आ गए
हैं। पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने हिदायत दी है कि इस घटनाक्रम
में जो निर्दोष स्टूडेंट्स फंसे हैं, उनके लिए एक कमेटी बनाई जाए। कमेटी
रिव्यू कर निर्दोष छात्र-छात्राओं की डिटेल दे, ताकि निर्दोष विद्यार्थी इस
झंझट से बाहर आ सकें।
इसके बाद वीसी प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर ने
निर्दोष फंसे छात्र-छात्राओं को निकालने के लिए चीफ सिक्योरिटी अफसर प्रो.
अश्वनी कौल की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। डीन स्टूडेंट वेलफेयर
इमेनुअल नाहर को इस कमेटी का को-चेयरपर्सन बनाया गया है। इसके अतिरिक्त
कमेटी में प्रो. बीएस घुम्मन, प्रो. एएस अहलुवालिया, प्रो. रतन सिंह, पूटा
प्रधान प्रो. प्रोमिला पाठक, अमीरा सुल्तान, विशाल शर्मा, वार्डन प्रवीण
कुमार, संजीव गौतम, सिक्योरिटी अफसर विक्रम या अशोक में से एक को रखा गया
है। पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट कौंसिल के प्रधान निशांत कौशल और वाइस
प्रेसिडेंट को कमेटी स्पेशल इनवाइटी के तौर पर बुलाएगी। शनिवार सुबह 11.30
बजे कमेटी की मीटिंग बुलाई गई है।
इससे पूर्व शुक्रवार को पंजाब के
राज्यपाल बदनौर ने वीसी प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर सहित यूटी के तमाम
अधिकारियों को तलब किया और पंजाब यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर गंभीरता से
विचार किया। उन्होंने एडवाइजर परिमल रॉय, होम सेक्रेट्री अनुराग अग्र्रवाल,
डीजीपी तेजिंदर सिंह लूथरा और वीसी अरुण कुमार ग्र्रोवर से कहा कि
यूनिवर्सिटी में हर हाल में लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन रखना है। किसी भी स्तर पर
लापरवाही न हो। स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनकी
दिक्कतों को हल करना हमारा प्रथम कर्तव्य है।
वीसी को कहा गया है कि
स्टूडेंट्स से बातचीत बंद न हो, ताकि उनका पक्ष सामने आता रहे। फीस
बढ़ोतरी की मांग पर उनकी राय प्राथमिकता से सुनी जाए। यह भी देखा जाए कि
फीस अब कैसे कम की जा सकती है। अगले हफ्ते पीयू प्रशासन
सीनेट बुला सकता है। राज्यपाल की राय पर वीसी फीस बढ़ोतरी के मुद्दे को
दोबारा सीनेट के समक्ष रख सकते हैं। फीस बढ़ोतरी में स्टूडेंट्स को जल्द
कुछ राहत मिल सकती है।
वीसी ने बयां की पीयू की खस्ता हालत
वर्तमान
और बीते कुछ सालों का संपूर्ण रिकॉर्ड पेश कर वीसी ने यूनिवर्सिटी के तमाम
फाइनेंशियल हालात से राज्यपाल को अवगत कराया। उन्हें बताया गया कि पंजाब
सरकार ने अपने हिस्से की ग्रांट 20 करोड़ पर फ्रीज कर रखी है। तय मापदंडों
के मुताबिक पंजाब को 40 प्रतिशत ग्रांट पीयू को देनी होती है लेकिन बीते कई
सालों से 20 करोड़ की ग्रांट ही दी जा रही है। अब यह देने में भी सरकार
असमर्थता जाहिर कर रही है। राज्यपाल ने आश्वासन दिया कि वह केंद्र सरकार और
पंजाब सरकार से इस पर चर्चा करेंगे।
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