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देश में सिखों और मुस्लिमों सहित अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति बेहद दयनीय है : सिख चिंतक दया सिंह

The condition of minority communities including Sikhs and Muslims in the country is very pathetic: Sikh thinker Daya Singh - Punjab-Chandigarh News in Hindi

चण्डीगढ़। आज हमारा देश बहुत ही संवेदनशील मोड़ पर खड़ा है, जहां सामाजिक ताना-बाना ही तार-तार होता जा रहा जिसके कारण आपसी संवाद का स्तर गिरता ही जा रहा है जो कि आपसी समझ और एकता का मूल है। देश में इस समय सिखों और मुस्लिमों सहित अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति जितनी दयनीय है, वह अब से पहले इतनी कभी भी नहीं थी। ये कहना था ऑल इंडिया पीस मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सिख चिंतक दया सिंह का, जो सिंह सभा शताब्दी कमेटी के पूर्व सचिव भी रहे हैं। आज यहां चण्डीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि देश की तरक्की का हल किसी समुदाय को अलग-थलग करने से नही हो सकता। ऐसे में ज़रूरी है कि इस पर आपसी संवाद हो, विवाद नहीं। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व की ताकतों ने गत 40 वर्षों से देश में ऐसा माहौल पैदा किया है जिसके निशाने पर सबसे पहले सिख और मुस्लिम आते हैं जिनको अलगाववादी, आतंकवादी और देश की एकता और अखंडता के दुश्मन तौर पर बदनाम करने की कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई। उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग एवं घरों और दुकानों को बुलडोज करने का सिलसिला कानून को ताक पर रख कर शुरू किया गया है। ऐसा भी लगने लगा है जैसे अल्पसंख्यकों को देश की चुनावी प्रक्रिया से ही बाहर कर दिया गया हो।
बहुसंख्यक हिन्दू समाज और देश का संविधान उन्हें सुरक्षा प्रदान करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। दु:ख तो इस बात का भी है कि सिखों व मुस्लिमों के खिलाफ कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूके और बाकी देशों में भी ऐसा माहौल सृजित कर दिया गया जिससे इन समुदायों के सामने सर्वाइवल का प्रश्न खड़ा हो गया। उन्होंने बताया कि इसे देखते हुए एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्ताव पारित करके यह तय किया गया कि इन हालातों का मुकाबला करने के लिए संयुक्त कोशिश की जाए और एक मंच की स्थापना हो जो अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों के लिये संवाद की शुरुआत करें। यह भी देखने को मिल रहा है कि वैसे तो सिखों में जातिवाद नहीं है, परन्तु अब सिखों में भी एससी/एसटी के आरक्षण के कारण टकराव पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं का तो आधार ही जातिवाद पर खड़ा है और अब जाति आधारित जनगणना को लेकर बंटेंगे तो कटेंगे जैसे जुमले घड़े जा रहे हैं। उनके मुताबिक सिख नेतृत्व तो पहले से ही यह संघर्ष करता रहा है कि संविधान के अनुच्छेद 25 से वह बाहर निकलना चाहता है क्योंकि उसे हिन्दू में वर्गीकृत कर दिया गया हुआ है। उनके लिए संविधान में कोई विशेष प्रावधान हो जिससे सिख, मुस्लिम और ईसाई भी हिन्दू के बराबर का हकदार हो सकें।

दया सिंह ने कहा कि आरएसएस उसी प्रकार से सिखों को पंजाब में नेतृत्व विहीन करने के लिए प्रयासरत है, जिस प्रकार से कॉंग्रेस मुक्त भारत के लिए। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल, जिसका 100 वर्ष का सुनहरी इतिहास रहा है व जिसने आजादी के संघर्ष में अहम रोल अदा किया हो, वो इस हालात से रूबरू हो जाये कि आने वाले उपचुनावों में उमीदवार ही न खड़े कर पाये, इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी? उनके साथ समाजसेवी कर्नल (सेनि) जीपीएस विर्क भी मौजूद थे।

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Web Title-The condition of minority communities including Sikhs and Muslims in the country is very pathetic: Sikh thinker Daya Singh
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