चंडीगढ़। अपनी आत्मा की आवाज़ के साथ धर्म अपनाने के हक के ख़ातिर नौंवे पातशाह गुरु तेग़ बहादुर जी ने अद्वितीय शहादत दी जिससे संसार में शांति बहाली और एकता स्थापित हो सके। गुरू साहिब का विचार था कि धार्मिक सद्भावना तभी कायम हो सकती है यदि किसी व्यक्ति पर धर्म तबदील करने के लिए दबाव या उन पर कोई फ़ैसला ठोपा न जा सके। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इन विचारों का प्रगटावा पंजाब के सहकारिता और जेल मंत्री स. सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने रविवार को यहां सैक्टर-29 स्थित सर्व भारतीय शांति और एकता संस्था (पंजाब) द्वारा बाबा सोहण सिंह भकना भवन के गुरू नानक देव जी हॉल में करवाई गई प्रांतीय कॉन्फ्रेंस को अपने संबोधन में किया।
स. रंधावा ने कहा कि आज नौंवे पातशाह की शहादत वाले दिन शांति और एकता पर कॉन्फ्रेंस करवा के गुरू साहिब को सच्ची श्रद्धांजलि भेंट की है। उन्होंने कहा कि गुरू साहिब ने ज़ुल्म के विरुद्ध अपनी शहादत देकर हक -सत्य की आवाज़ बुलंद की। उन्होंने कहा कि आज के समय में गुरूओं की विचारधारा और दर्शन को अपनाने की सबसे अधिक ज़रूरत है।
स. रंधावा ने कहा कि दक्षिण-एशियाई क्षेत्र की तरक्की सिर्फ अमन, शांति के साथ ही हो सकती है। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान में से गरीबी, ज़लालत, अनपढ़ता को ख़त्म करने के लिए शांति की स्थापना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि बुद्धिजीवी वर्ग ही अपनी लियाकत और सभ्य मार्गदर्शन से ऐसे समाज की सृजना कर सकता है। उन्होंने कहा लेखक और कवि अपनी रचनाओं और कविताओं के साथ लोगों की अलख जगाने का सामथ्र्य रखते हैं।
स. रंधावा ने आगे कहा कि करतारपुर गलियारा खुलने से चढ़ते और लहिंदे पंजाब की तरक्की के रास्ते खुले हैं। जगत गुरू बाबा नानक जी ने जो हमें शांति का संदेश दिया था, वह इस गलियारे के खुलने से और फैलेगा। उन्होंने कहा कि यदि वागा सीमा के आर-पार व्यापार खुल जाये तो दोनों तरफ के किसानों की आर्थिकता सुधर सकती है। उन्होंने कहा, ‘मैं सीमावर्ती क्षेत्र का निवासी होने के कारण देश के विभाजन और जंग के समय हुए नुक्सान से भली-भांति अवगत हूं और जिसने तबाही और जंग के दर्द सीने पर झेला हुआ हो, वह सदा शांति की कामना रखते हैं।’
सहकारिता मंत्री ने वाम पक्षीय लहर के कमज़ोर होने पर अफ़सोस ज़ाहिर करते हुये कहा कि समाज में संतुलन बनाने के लिए यह लहर बहुत ज़रूरी था। उन्होंने आज की इस कॉन्फ्रेंस के लिए प्रबंधकों को बधाई देते हुये यह भी न्योता दिया कि अगली कॉन्फ्रेंस वह सीमावर्ती क्षेत्र में गुरदासपुर या अमृतसर करवाई जाये जहां के लोग सीमाओं पर अशांती के दौर में सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
रंधावा ने सुखदेव सिंह द्वारा जंडियाला में बर्तन बनाने वाले ठठेरों पर लिखी पुस्तक भी रिलीज़ की।
इस कॉन्फ्रेंस में नई दिल्ली स्थित फिलस्तीन दूतावास के काऊंसलर अबदेलराज़ेग अब्बू जाजग़र, ए.आई.पी.एस.ओ. के जनरल सचिव पल्लब सेन गुप्ता और आर. अरुण कुमार, सीपीआई के जनरल सचिव बंत बराड़, संस्था की पंजाब इकाई के प्रधान हरबंस सिंह सिद्धू, जनरल सचिव राजेश लाल मौदगिल्ल, एडवोकेट हरचंद बाठ, प्रो. रबिन्दर नाथ शर्मा ने भी अपने विचार प्रगटाए।
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